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MCD ने NGT को सौंपी रिपोर्ट: 65 मीटर ऊंचे कचरे के पहाड़ की उलटी गिनती शुरू, 2027 तक खत्म होगा गाजीपुर लैंडफिल

रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर साइट पर अब मार्च 2025 से अलवाजो सॉल्यूशंस कंपनी 30 लाख एमटी (बढ़ाकर 45 लाख तक) साफ कर रही है। अगस्त 2025 तक 6.6 लाख एमटी साफ हो चुका है। कुल मिलाकर 32 लाख एमटी पुराना कचरा प्रोसेस हो गया है। एक नया टेंडर भी सितंबर 2025 में जारी किया गया है, ताकि बाकी कचरा जल्द साफ हो।

दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल में रोजाना 2400 से 2600 मीट्रिक टन (एमटी) कचरा आता है, लेकिन वेस्ट-टू-एनर्जी (डब्ल्यूटीई) प्लांट में सिर्फ 700 से 1000 एमटी ही प्रोसेस हो पाता है। बाकी कचरा बायो-माइनिंग से बनी सीमित जगह पर डाला जाता है, क्योंकि ऊंचाई बढ़ाने की मनाही है। वहीं, पुराने कचरे को साफ करने का काम तेजी से चल रहा है और यह साल 2027 तक पूरा हो जाएगा। यह जानकारी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी अपनी हालिया स्थिति रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर साइट पर करीब 85 लाख एमटी पुराना कचरा जमा था, जिसकी ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी। 2019 से शुरू बायो-माइनिंग प्रोजेक्ट में कई चुनौतियां आईं, जैसे मशीनों के लिए जगह न होना और ठेकेदारों की कमी। पहले ठेके में सिर्फ 13.9 लाख एमटी साफ हो सका, जिसे रद्द कर दिया गया।

एनजीटी के 10 जुलाई, 2025 के आदेश पर एमसीडी ने रिपोर्ट में विस्तार से बताया कि अप्रैल, 2025 में बंद हुई ओखला प्लांट को कचरा भेजने की व्यवस्था अगस्त, 2025 से फिर शुरू हुई, जिससे रोजाना करीब 300 एमटी कचरा वहां भेजा जा रहा है। हालांकि, ओखला प्लांट की क्षमता के हिसाब से यह मात्रा बदलती रहती है।

रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर साइट पर अब मार्च 2025 से अलवाजो सॉल्यूशंस कंपनी 30 लाख एमटी (बढ़ाकर 45 लाख तक) साफ कर रही है। अगस्त 2025 तक 6.6 लाख एमटी साफ हो चुका है। कुल मिलाकर 32 लाख एमटी पुराना कचरा प्रोसेस हो गया है। एक नया टेंडर भी सितंबर 2025 में जारी किया गया है, ताकि बाकी कचरा जल्द साफ हो। नगर निकाय एजेंसी ने ठेकेदार से कहा है कि टारगेट तीन महीने पहले पूरा करें।

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत केंद्र-राज्य फंड से ये काम चल रहे हैं। इससे पहले एनजीटी ने 21 अप्रैल के आसपास गाजीपुर लैंडफिल साइट पर भीषण आग लगने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), एमसीडी, पूर्वी दिल्ली जिलाधिकारी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

अप्रैल से जुलाई 2025 तक लगभग दोगुना पुराना कचरा हटा
रिपोर्ट में बताया गया है कि एमसीडी ने कचरा प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें साइट पर 2000 एमटी क्षमता वाला नया डब्ल्यूटीई प्लांट लगाने का टेंडर जुलाई 2025 में जारी हो चुका है। बायो-माइनिंग से निकले कचरे को अलग-अलग जगह भेजा जा रहा है। निष्क्रिय कचरा (इनर्ट) और निर्माण-अवशेष (सीएंडडी) को दसना, लोनी, गाजियाबाद, नोएडा जैसे इलाकों में भराई के लिए, जबकि रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) को मेरठ-मुजफ्फरनगर की फैक्टरियों में ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। रिपोर्ट में साफ किया गया कि साइट पर 5 एकड़ जमीन साफ हो चुकी है, लेकिन इसे खाली नहीं छोड़ा गया। यहां ट्रॉमेल मशीनें चलाने के लिए शेड, आरडीएफ-इनर्ट स्टोरेज और वाहनों की पार्किंग बनाई गई है। रोजाना नया कचरा आता है, लेकिन पुराने कचरे की सफाई इतनी तेज है कि कुल ढेर घट रहा है। अप्रैल से जुलाई 2025 तक नया कचरा आने से ज्यादा (लगभग दोगुना) पुराना कचरा हटाया गया।

बायो-माइनिंग का टारगेट चार्ट (वर्तमान ठेके के अनुसार)

क्वार्टर अवधि लक्ष्य (फीसदी) लक्ष्य (लाख एमटी) उपलब्धि (%) उपलब्धि (लाख एमटी)
1. 8 मार्च-7 जून 2025 6 1.8 9.10 2.73
2. 8 जून-7 सितंबर 2025 18 5.4 13.60 4.07
3. 8 सितंबर-7 दिसंबर 2025 18 5.4
4. 8 दिसंबर 2025-7 मार्च 2026 18 5.4
5. 8 अप्रैल-7 जुलाई 2026 20 6.0
6. 8 अगस्त-7 नवंबर 2026 20 6.0

महीने-दर-महीने प्रगति (अप्रैल-जुलाई 2025)

महीना नया कचरा(एमटी) साफ कचरा(एमटी)
अप्रैल 58,201 94,734
मई 54,616 1,23,870
जून 49,254 1,74,437
जुलाई 50,207 1,83,689

लीचेट प्रबंधन और बायोमाइनिंग में सुधार
रिपोर्ट में बताया गया है कि लीचेट यानी कचरे से निकलने वाले गंदे पानी के प्रबंधन में सुधार किया गया है। अब प्लांट पर जमा लीचेट को साइट पर ही छिड़काव के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे धूल कम होती है और बायो-कल्चर (सूक्ष्मजीव आधारित प्रक्रिया) को बढ़ावा मिलता है। रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 में दो बड़े लीचेट टैंक बनाए गए, जिनकी क्षमता 50,000 लीटर प्रत्येक है। जनवरी से जुलाई 2025 तक लीचेट के इस्तेमाल का ब्योरा भी दिया गया है। इसमें जनवरी में 41 टैंकर साइट पर इस्तेमाल किए गए, कोई बाहर नहीं भेजा गया। मार्च में 34 टैंकर इस्तेमाल, 3 बाहर भेजे गए। जून में 43 इस्तेमाल, 5 भेजे गए। वहीं, जुलाई में 37 इस्तेमाल, 5 भेजे गए। एनजीटी की टिप्पणियों पर एमसीडी ने जवाब दिया कि सीएंडडी कचरा ढेर पर डालना आग और गैस के खतरे को कम करने के लिए जरूरी है। ट्रॉमेल मशीनें 24 घंटे चलती हैं (रखरखाव को छोड़कर) और क्षतिग्रस्त ड्रेन की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा गया है। रिपोर्ट में एमसीडी ने माना है कि जगह और प्रोसेसिंग प्लांट की कमी के कारण कुछ अस्थायी डंपिंग हो रही है, लेकिन नए प्लांट और बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट्स से स्थिति जल्द सुधरने की उम्मीद है।

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