मोबाइल पर न्यूज स्क्रॉल करते समय अब लोग हर रोज टेक प्रोफेशनल्स की छंटनी की खबरों से दो-चार हो रहे हैं। साल 2025 में अब तक जितनी छंटनियां हुई हैं, वे पूरे 2024 की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। खासकर टेक इंडस्ट्री में तो हर दूसरे दिन किसी बड़ी कंपनी में कर्मचारियों की कटौती की खबरें सुर्खियां बना रही हैं। कहीं सैंकड़ों लोग निकाले जा रहे हैं, तो कहीं पूरी टीमें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से नौकरियां जाने का डर भी इस माहौल को और तनावपूर्ण बना रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल समेत दुनिया की 218 टेक कंपनियां कुल 1,12,732 कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं।
लेकिन टेक कंपनियों में छंटनी की असलियत उनकी सुर्खियों से कहीं ज्यादा जटिल है। छंटनी हमेशा इस बात का संकेत नहीं होती कि कंपनियां असफल हो रही हैं या उनकी हालत खराब है। कई बार यह सिर्फ एक ‘रीसेट’ का तरीका होता है, जहां कंपनियां तेजी से हुए विस्तार और बढ़े खर्चों के बाद खुद को दोबारा संतुलित करती हैं। टेक सेक्टर में इस साल की छंटनी महामारी के बाद की आर्थिक सुधार, एआई-केंद्रित निवेश, और बढ़ती लागत के बीच उद्योग के खुद को नए सिरे से ढालने की कहानी कहती है। इस खबर में हम उन कारणों से पर्दा उठाने जा रहे हैं जो टेक कंपनियों में हो रही छटनियों की बड़ी वजह हैं। तो चलिए जानते हैं…
2. एआई की ओर बजट का झुकाव
एआई फिलहाल सीधे तौर पर नौकरियां नहीं छीन रहा है, लेकिन इस कहानी में उसकी एक बड़ी भूमिका जरूर है। एआई टूल्स अभी टेक कर्मचारियों को सीधे रिप्लेस नहीं कर रहे, लेकिन कंपनियों का एआई के ऊपर बढ़ता फोकस टेक वर्कर्स पर भारी पड़ रहा है। बड़ी कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और सेल्सफोर्स अपने बजट का बड़ा हिस्सा एआई रिसर्च और इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगा रही हैं, और इसी कारण वे अन्य विभागों में कटौती कर रही हैं।
हालांकि, एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश उम्मीद से ज्यादा महंगा साबित हुआ है। कई जगहों पर एआई मॉडल्स को वर्कफ्लो में शामिल करने की प्रक्रिया भी धीमी रही है। कुछ कंपनियों ने यह भी महसूस किया है कि कर्मचारियों को निकालकर सिर्फ एआई पर भरोसा करना उनकी सर्विस क्वालिटी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। इस साल कर्मचारियों की संख्या घटाना ऑटोमेशन से कम और बजट को एआई की अगली बढ़ोतरी की दिशा में मोड़ने से ज्यादा जुड़ा है।
3. बदलती स्किल्स और नई मांग
छंटनी का एक बड़ा कारण स्किल गैप भी है। तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि जिन कर्मचारियों की स्किल पुरानी पड़ गई, वे सबसे पहले प्रभावित हुए। कंपनियों के लिए री-ट्रेनिंग पर पैसा खर्च करने से आसान है कि वे नई स्किल वाले कर्मचारियों को हायर करें, फिर चाहे वह घरेलू हों या H-1B वीजा के तहत विदेशों से आए हों। अब फोकस उन भूमिकाओं पर है जो एआई सिस्टम्स की निगरानी, डेटा प्रबंधन और ह्यूमन-एआई इंटरफेस से जुड़ी हैं। यानी नौकरियां खत्म नहीं हो रहीं, बल्कि उनका स्वरूप बदल रहा है।
4. आर्थिक दबाव
महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और घटते निवेश के माहौल ने कंपनियों के लिए हालात और मुश्किल बना दिए हैं। उधार महंगा हो गया है, जिससे एक्सपैंशन प्लान धीमे पड़ गए हैं। निवेशक अब हर कीमत पर ग्रोथ के लिए फंड करने के बजाय संतुलित तरीके से खर्च करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। नतीजतन, कंपनियां अपने वर्कफोर्स को मांग के अनुसार ढालने के लिए मजबूर हैं ताकि वे कम संसाधनों में भी उत्पादकता को बनाए रख सकें। इस वजह से क्लाउड, कंज्यूमर एप्स, हार्डवेयर समेंत सभी सेगमेंट की टेक कंपनियां कर्मचारियों की संख्या को सीमित करने पर जोर दे रही हैं।
छंटनी दे रही है बदलाव के संकेत
अक्सर लोग छंटनी को कंपनी की नाकामी मान लेते हैं, लेकिन कई बार यह एक सुधार की प्रक्रिया होती है। महामारी के दौर की ओवर-हायरिंग, एआई में बढ़ते निवेश और आर्थिक दबावों ने कंपनियों को नए तरीके से संतुलन बनाने को मजबूर किया है। पेशेवरों के लिए सबक साफ है कि छंटनी से घबराने के बजाय यह समझना जरूरी है कि इंडस्ट्री किस दिशा में जा रही है। अगर आप अपनी स्किल्स को भविष्य की जरूरतों, जैसे एआई मॉनिटरिंग, डेटा हैंडलिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग के अनुसार ढालते हैं, तो जब फिर से हायरिंग शुरू होगी, तो आप आने वाले अवसरों के लिए बेहतर स्थिति में होंगे।

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