बिहार के रहने वाले राम प्रताप उस वक्त अपने ठेले को बंद करने की तैयारी कर रहे थे, जब धमाका हुआ। अब अस्पताल के बिस्तर पर लेटे प्रताप के दाहिने हाथ पर पट्टी बंधी है। वे कहते हैं, लोग सड़क पर पड़े थे, कोई खून से लथपथ था, कोई हिल भी नहीं रहा था। हर जगह खून था। हमने मौत को करीब से देखा।
चांदनी चौक में बैग बेचने वाली करमजोत ने बताया कि धमाके के बाद चारों ओर अफरातफरी मच गई। उन्होंने कहा, मैं लाल किले की तरफ से लोगों को भागते हुए देख रही थी, सब लोग चीख रहे थे। मैं गुरुद्वारे की तरफ भागी और वहां जाकर छिप गई, जब तक हालात सामान्य नहीं हुए।
जैन मंदिर स्पोर्ट्स क्लब में काम करने वाले जेपी मिश्रा ने बताया कि स्थानीय लोग घायलों की मदद के लिए दौड़े, जब तक राहत दल नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा, जब मैं मौके पर पहुंचा तो चारों ओर बिखरे शव के टुकड़े देखे। कुछ टुकड़े तो मेरे पैरों के नीचे आ गए थे।
ऐसा लगा जैसे भूकंप आया हो
जैन मंदिर के पास रहने वाली 45 वर्षीय कर्मयता देवी ने कहा कि उनका परिवार पूरी रात नहीं सो पाया। उन्होंने बताया, ऐसा लगा जैसे भूकंप आया हो। जमीन हिल रही थी। मेरा 15 साल का बेटा जो शव देख रहा था, बुरी तरह डर गया। कुछ शवों के हिस्से तो मंदिर परिसर में भी आ गिरे थे।
छत से सीमेंट टूटकर नीचे गिर पड़ा
लाल किले के पास रहने वाली 10 साल की प्रिया ने कहा कि धमाका इतना तेज था कि घर की छत से सीमेंट टूटकर नीचे गिर पड़ा। उसने बताया, आज हमारा स्कूल बंद है। हम पूरी रात नहीं सो पाए। मैंने कभी इतनी जोरदार आवाज नहीं सुनी थी।
कुछ पल के लिए कानों ने सुनना बंद कर दिया
प्रताप लाल किले के पास एक छोटा सड़क किनारे ढाबा चलाते हैं। उन्होंने बताया, बस कुछ ग्राहक बैठे थे, तभी अचानक तेज धमाका हुआ। आवाज इतनी जबरदस्त थी कि कुछ पल के लिए कानों ने सुनना बंद कर दिया। शीशे के टुकड़े हम पर गिरे और चारों ओर धुआं फैल गया। मेरे हाथ से खून बह रहा था लेकिन उस समय मुझे एहसास भी नहीं हुआ।
कोई रो रहा था तो कोई चिल्ला रहा था
अस्पताल के बाहर खड़े उनके रिश्तेदार ने बताया कि वह कुछ ही मीटर दूर थे जब विस्फोट हुआ। उन्होंने कहा, पहले एक चमक दिखी, फिर आग और उसके बाद काला धुआं। मैं जड़ हो गया, भाई को ढूंढ नहीं पा रहा था। लोग अपने परिजनों को पुकार रहे थे, कोई रो रहा था, कोई चिल्ला रहा था। कुछ मिनटों तक किसी को पता नहीं था कि कौन जिंदा है।
बिहार के विजेंद्र भी हुए घायल
उसी इलाके में विजेंद्र यादव ने अभी-अभी अपना पानी का टैंकर पार्क किया था, जब धमाके से सबकुछ अंधेरे में डूब गया। बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले यादव दिल्ली में पानी सप्लाई का छोटा कारोबार करते हैं। उनके हाथ में पट्टी बंधी है और सिर पर भी पटी लिपटी है।
सड़क पर बिखरे पड़े थे लाशें और मांस के टुकड़े
एलएनजेपी अस्पताल के बाहर खड़े यादव ने कांपती आवाज में बताया, मेरा टैंकर सड़क किनारे खड़ा था। मैं बस काम खत्म कर रहा था, तभी धमाका हुआ। मैं जमीन पर गिर गया। जब उठा तो देखा कि कपड़े खून से भीग चुके हैं। सड़क पर लाशें, शीशे और मांस के टुकड़े बिखरे पड़े थे। लोग चिल्ला रहे थे, कुछ भाग रहे थे, और कुछ तो वहीं जमे रह गए थे। वह आवाज आज भी कानों में गूंजती है।
समझ नहीं आ रहा कैसे बच गया
बीस साल से इस कारोबार में लगे यादव ने बताया कि उनकी पत्नी और चार बच्चे बिहार के गांव में रहते हैं। उन्होंने कहा, मुझे लगा अब शायद उनसे कभी नहीं मिल पाऊंगा। मेरी तीन बेटियां हैं, बस यही सोचता रहा कि अगर मैं न रहा तो उनका क्या होगा। आज भी समझ नहीं आता कि मैं कैसे बच गया। वह मंजर, वह डर, जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा।
लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम धीमी गति से चल रही एक कार में हुए इस शक्तिशाली धमाके ने कई वाहनों को जला दिया और कई लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल कुछ लोगों ने बाद में दम तोड़ दिया, जिससे मरने वालों की संख्या 12 पहुंच गई।


No Comments: