चेक गणराज्य में राजनीति का बड़ा बदलाव हुआ है। अरबपति पॉपुलिस्ट नेता आंद्रेज़ बाबिस ने मंगलवार को देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। यह बाबिस की सत्ता में दूसरी पारी है, वे इससे पहले 2017 से 2021 तक भी प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
शपथ लेते समय बाबिस ने कहा कि वे देश के हितों की रक्षा दुनिया में कहीं भी करेंगे और चेक गणराज्य को धरती पर रहने के लिए सबसे बेहतर जगह बनाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे।
नई सरकार कैसे बनी?
चेक राष्ट्रपति पेट्र पावेल ने आम चुनावों में एएनओ मूवमेंट की बड़ी जीत के बाद आंद्रेज बाबिस को नई सरकार बनाने का आमंत्रण दिया। बाबिस ने दो छोटे राजनीतिक दलों एंटी-इमिग्रेशन रुख वाली फ्रीडम एंड डायरेक्ट डेमोक्रेसी पार्टी और दक्षिणपंथी मोटरिस्ट्स फॉर देमसेल्व्स
के साथ मिलकर बहुमत गठबंधन तैयार किया है। यह गठबंधन संसद के निचले सदन में 200 में से 108 सीटों के साथ मजबूत स्थिति में है।
नयी सरकार में कुल 16 मंत्री शामिल होंगे, जिनमें ANO के पास 8 मंत्रालयों के साथ प्रधानमंत्री का पद भी रहेगा, जबकि मोटरिस्ट्स फॉर देमसेल्व्स को 4 मंत्रालय और फ्रीडम समूह को 3 मंत्रालय मिलेंगे। यह नई राजनीतिक साझेदारी देश की नीतियों में बड़े बदलाव का संकेत मानी जा रही है।
नीतियों में आएगा बड़ा बदलाव
विश्लेषकों का कहना है कि नई सरकार यूक्रेन को सहायता कम कर सकती है और हंगरी तथा स्लोवाकिया की तरह EU नीतियों पर कड़ा रुख अपना सकती है, खासकर पर्यावरण और प्रवास जैसे मुद्दों पर। इससे देश की विदेश नीति में बड़ा बदलाव संभव है।
बाबिस पर भ्रष्टाचार का मामला लंबित
71 वर्षीय बाबिस अभी भी EU सब्सिडी घोटाले से जुड़े धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहे हैं। कोर्ट में मामला आगे बढ़ाने के लिए नए संसद को उनकी सांसदीय प्रतिरक्षा हटानी पड़ सकती है।
स्वामित्व विवाद खत्म करने के लिए बड़े कारोबारी कदम
प्रधानमंत्री बनने की अनुमति पाने के लिए बाबिस ने अपनी विशाल व्यावसायिक संपत्तियों को लेकर सार्वजनिक घोषणा की कि उनकी Agrofert समूह (200 कंपनियों का कंसोर्टियम) अब एक ट्रस्ट फंड के तहत चलेगा। इसकी निगरानी एक स्वतंत्र प्रोटेक्टर करेगा। उनकी मृत्यु के बाद यह संपत्ति परिवार को हस्तांतरित होगी। बाबिस कई क्लीनिक और लैब्स के भी मालिक हैं, जबकि उनकी पार्टी ANO का एक करीबी सहयोगी नए स्वास्थ्य मंत्री की दौड़ में है।
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