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AI: एआई कंपनियों को कॉपीराइटेड कंटेंट मुहैया कराने का सरकार का प्रस्ताव, कॉपीराइट धारकों को मिलेगी रॉयल्टी

सरकारी समिति ने सुझाव दिया है कि एआई डेवलपर्स को कानूनी रूप से उपलब्ध सभी कॉपीराइटेड सामग्री के इस्तेमाल के लिए ब्लैंकेट लाइसेंस दिया जाए। इसके बदले कॉपीराइट धारकों को रॉयल्टी देने का प्रावधान होगा। इस पर जनता और स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे गए हैं।

सरकार की एक समिति चाहती है कि एआई बनाने वाली कंपनियों को एक ऐसा अनिवार्य लाइसेंस दिया जाए। जिससे वे इंटरनेट या दूसरी जगहों पर कानूनी रूप से उपलब्ध लाइसेंस कॉपीराइट सामग्री को अपने एआई मॉडल ट्रेन करने के लिए इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए सरकार ने आम लोगों और सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं। समिति का कहना है कि अगर कंटेंट इस्तेमाल होगा, तो कॉपीराइट मालिकों को रॉयल्टी यानी भुगतान मिलना जरूरी होना चाहिए। यह प्रस्ताव उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के एक वर्किंग पेपर में शामिल है, जिसे राय लेने के लिए जारी किया गया है।

समिति कब और क्यों बनी?

एआई और कॉपीराइट से जुड़े बढ़ते विवादों को देखते हुए DPIIT ने 28 अप्रैल 2025 को 8 सदस्यों की एक समिति बनाई। समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव हिमानी पांडे ने की। इसमें कानूनी विशेषज्ञ, इंडस्ट्री के लोग और शिक्षाविद शामिल थे। समिति का काम एआई से जुड़ी समस्याएं समझना, मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना और जरूरत हो तो नए नियम सुझाना था।

समिति के मुख्य सुझाव 

1. एआई डेवलपर्स को ‘अनिवार्य ब्लैंकेट लाइसेंस’ मिले। यानी एआई कंपनियां किसी भी लाइसेंस्ड कंटेंट को एआई ट्रेनिंग में इस्तेमाल कर सकेंगी।

2. कॉपीराइट मालिक कंटेंट का उपयोग रोक नहीं सकेंगे। लेकिन उन्हें रॉयल्टी लेने का अधिकार रहेगा।
3. भुगतान एक ही संस्था के जरिए होगा। कॉपीराइट मालिक मिलकर एक संस्था बनाएंगे जिसे सरकार मान्यता देगी। वही संस्था सभी एआई कंपनियों से रॉयल्टी इकट्ठा कर कंटेंट मालिकों में बांट देगी।

इस मॉडल से एआई कंपनियों को लर्निंग के लिए कंटेंट आसानी से मिल सकेगा। लाइसेंसिंग प्रक्रिया आसान होगी, लागत घटेगी और कंटेट मालिकों को उचित भुगतान मिलेगा। यानी एक तरह का सिंगल-विंडो सिस्टम तैयार होगा।

 

एआई ट्रेनिंग और कॉपीराइट में दिक्कत क्या है?

आज एआई सिस्टम को ट्रेन करने के लिए बड़ी मात्रा में डाटा चाहिए, जिसमें बहुत सा कंटेंट कॉपीराइटेड होता है। जब कंपनियां बिना अनुमति इसका इस्तेमाल करती हैं, तो कानूनी झगड़े होते हैं। चुनौती यह है कि एआई का विकास भी तेजी से हो और कंटेट मालिकों के अधिकार भी सुरक्षित रहें। इसलिए ऐसा नियम चाहिए जो तकनीक और क्रिएटिव सेक्टर दोनों का फायदा करे।

स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों को क्या फायदा होगा?

समिति ने माना कि एआई बनाने के लिए बहुत बड़ा, उच्च गुणवत्ता वाला डाटा चाहिए। लेकिन लाइसेंसिंग में लंबी बातचीत और ज्यादा खर्च छोटे स्टार्टअप्स के लिए मुश्किलें बढ़ा देता है। प्रस्तावित मॉडल में उन्हें राहत के उपाय दिए गए हैं। एआई डेवलपर्स को सभी कानूनी रूप से उपलब्ध कॉपीराइटेड कंटेंट तक सीधे ट्रेनिंग के लिए पहुंच मिलेगी। ट्रांजैक्शन और कंप्लायंस लागत कम होगी। कॉपीराइट मालिकों को उचित रॉयल्टी मिलेगी। रॉयल्टी दरों की अदालत से समीक्षा की सुविधा होगी। भुगतान प्रक्रिया आसान होगी और स्टार्टअप्स को बड़ी कंपनियों जैसे बराबरी का मौका मिलेगा।

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