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दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े की पदोन्नति पर लगाई मुहर, केंद्र की याचिका खारिज

केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि वानखेड़े पर गंभीर आरोप हैं और उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच लंबित है। लेकिन अदालत ने कहा कि आज की तारीख में कोई भी विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं है, न ही कोई चार्जशीट दाखिल हुई है। केवल जांच लंबित होना पदोन्नति रोकने का आधार नहीं हो सकता।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिफारिश पर गौर करे। कोर्ट ने कहा, यदि पूर्व एनसीबी जोनल निदेशक तथा आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े का नाम प्रमोशन के लिए अनुशंसित है, तो उन्हें अतिरिक्त आयुक्त के पद पर पदोन्नत किया जाए।

जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की पीठ ने कहा कि फिलहाल वानखेड़े के खिलाफ न तो कोई विभागीय कार्यवाही लंबित है और न ही उन्हें निलंबित किया गया है। सीबीआई या ईडी ने उनके खिलाफ अभी तक चार्जशीट भी दाखिल नहीं की है। अदालत ने यह आदेश केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के दिसंबर 2024 के फैसले को बरकरार रखते हुए दिया, जिसमें सरकार को वानखेड़े के प्रमोशन से जुड़ा ‘सील कवर’ खोलने और यूपीएससी की अनुशंसा के आधार पर उन्हें 1 जनवरी, 2021 से अतिरिक्त आयुक्त बनाने का निर्देश दिया गया था।

केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि वानखेड़े पर गंभीर आरोप हैं और उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच लंबित है। लेकिन अदालत ने कहा कि आज की तारीख में कोई भी विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं है, न ही कोई चार्जशीट दाखिल हुई है। केवल जांच लंबित होना पदोन्नति रोकने का आधार नहीं हो सकता। वानखेड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंद्राजोग और अरविंद नायर ने पक्ष रखा, जबकि केंद्र की ओर से अधिवक्ता आशीष दीक्षित पेश हुए। गौरतलब है कि 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी वानखेड़े 2021 में मुंबई एनसीबी जोनल डायरेक्टर रहते हुए कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्स केस और शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान से जुड़े विवाद के कारण सुर्खियों में आए थे। 

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