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Alert: अनावश्यक एक्स-रे से 20 से कम उम्र वाले मरीजों में 10% बढ़ रहा कैंसर का खतरा, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

बार-बार रेडियोलॉजी जांच से होने वाला विकिरण जोखिम खासकर 20 वर्ष से कम उम्र के मरीजों में कैंसर का खतरा 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।

चिकित्सा के क्षेत्र में तकनीक ने क्रांति ला दी है, लेकिन अनावश्यक रेडियोलॉजिकल जांच जैसे एक्स-रे और सीटी स्कैन की बढ़ती प्रवृत्ति मरीजों के लिए खतरा बन रही है। शनिवार को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आयोजित न्यूरोलॉजिकल सर्जंस सोसाइटी ऑफ इंडिया के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ आरएस मित्तल ने यह बातें कही।

उन्होंने चेतावनी दी कि बार-बार रेडियोलॉजी जांच से होने वाला विकिरण जोखिम खासकर 20 वर्ष से कम उम्र के मरीजों में कैंसर का खतरा 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्र शामिल थे, जिन्हें 15 से 40 साल के अनुभवी डॉक्टरों ने प्रशिक्षण दिया। इस प्रशिक्षण में छात्रों को मरीजों की जांच करना, बीमारी का पता लगाना, बीमारी में इलाज की जरूरतों को समझना, जरूरत न होने पर सर्जरी करने से बचना व एक अच्छा न्यूरो सर्जन बनने का प्रशिक्षण दिया गया।
सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष और न्यूरो सर्जन प्रो. आरएस मित्तल ने कहा कि तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता के कारण मैनुअल जांच की कला कमजोर पड़ रही है। उन्होंने कहा कि जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, रेडियोलॉजी जांच से बचना चाहिए। मैनुअल परीक्षण को बढ़ावा देकर न केवल मरीजों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है, बल्कि अनावश्यक खर्च और जोखिम भी कम किए जा सकते हैं। एनएसएसआई के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एमके तिवारी ने बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग में भी मानवीय विशेषज्ञता की कोई बराबरी नहीं है। एआई हमें दिशा दिखा सकती है, लेकिन मरीज की स्थिति को समझकर सही जांच का चयन केवल प्रशिक्षित सर्जन ही कर सकते हैं।

स्पाेंडिलाइटिस का बढ़ता प्रकोप
चिकित्सकों ने बताया कि आजकल युवाओं में स्पाेंडिलाइटिस और डिस्क से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। खराब पोस्चर, लंबे समय तक मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग, तनाव और व्यायाम की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि नियमित व्यायाम, सही मुद्रा, और संतुलित आहार से इन समस्याओं को रोका जा सकता है।

बचाव के उपाय 

  • रोजाना स्ट्रेचिंग और व्यायाम करें
  • सही बैठने की मुद्रा अपनाएं
  • मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग सीमित करें
  • कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार लें

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