कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पंजीकरण और फंडिंग को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। मंत्री प्रियांक खरगे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बी. के. हरिप्रसाद ने बुधवार को आरोप लगाया कि आरएसएस खुद को सरकारी नियमों से बचाने के लिए पंजीकृत संगठन नहीं बनाता और अपनी आर्थिक गतिविधियों को सार्वजनिक नहीं करता।
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने बेंगलूरू में मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर आरएसएस पंजीकृत संगठन है, तो उसका रजिस्ट्रेशन दस्तावेज सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि कपड़े सिलने, मार्च आयोजित करने, ढोल-ताशे खरीदने और इमारतें बनाने के लिए पैसा कहां से आ रहा है? अगर संगठन पंजीकृत नहीं है, तो उसे धन कैसे मिल रहा है?
हरिप्रसाद और प्रियांक खरगे ने भी उठाए सवाल
प्रियांक खरगे ने आगे कहा कि आरएसएस का अपंजीकृत रहना इस बात की ओर इशारा करता है कि वह टैक्स, सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट और एनजीओ कानून जैसे कानूनी दायरे से बाहर रहना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर संगठन पंजीकृत होता, तो उसे विदेशी और घरेलू चंदे की जानकारी सरकार के साथ साझा करनी पड़ती।
दिल्ली में वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने भी आरएसएस की फंडिंग और पंजीकरण पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं, लेकिन आरएसएस कहां पंजीकृत है, इसकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती?
हरिप्रसाद ने दावा किया कि आरएसएस गुरु दक्षिणा के नाम पर हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर नकद दान प्राप्त करता है। उन्होंने पूछा कि संगठन ने पिछले 100 वर्षों में इन पैसों का कोई लेखा-जोखा दिया है क्या? क्या ईडी, आयकर या सीबीआई ने कभी इसकी जांच की?
हरिप्रसाद ने आरोप लगाया कि आरएसएस ने लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से इमारत का निर्माण कराया है, लेकिन इसकी धनराशि का स्रोत स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर संगठन पारदर्शी है, तो उसे तुरंत पंजीकृत होना चाहिए।
भाजपा का पलटवार- आरएसएस एक स्वैच्छिक संगठन
कांग्रेस नेताओं के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सी. एन. अश्वथ नारायण ने कहा कि भारत के संविधान में हर व्यक्ति और संगठन को स्वतंत्र रूप से सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य करने की अनुमति है। उन्होंने कहा, हर संगठन का रजिस्टर्ड होना आवश्यक नहीं है।
आरएसएस एक स्वैच्छिक संगठन है, जो देश के सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। नारायण ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की यह आलोचना केवल राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है।
खरगे का सख्त रुख और सरकारी कार्रवाई
आरएसएस पर अपने सख्त रुख के लिए जाने जाने वाले मंत्री प्रियांक खरगे ने हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर आरएसएस से जुड़े सरकारी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी। उनके पत्र के बाद सरकार ने बीदर जिले के बसवकल्याण में ओबीसी कल्याण विभाग के छात्रावास में कार्यरत सहायक रसोइया प्रमोद कुमार को नौकरी से हटा दिया।
शिकायत में कहा गया था कि प्रमोद कुमार ने आरएसएस के रूट मार्च में भाग लिया था। इसके अलावा, पिछले हफ्ते रायचूर जिले के पंचायत विकास अधिकारी प्रवीन कुमार को भी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने पर निलंबित कर दिया गया था।
कानूनी नियम और विवाद की पृष्ठभूमि
कर्नाटक सिविल सर्विस (कंडक्ट) नियमों के तहत सरकारी कर्मचारियों को किसी राजनीतिक संबद्धता वाले संगठन की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। खरगे का कहना है कि आरएसएस अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा से जुड़ा हुआ है और सरकारी कर्मचारियों द्वारा उसमें भाग लेना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। वहीं, भाजपा का कहना है कि आरएसएस किसी राजनीतिक संगठन का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रवादी संगठन है जो देशहित में काम करता है।
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