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दिल्ली के बुराड़ी और करोल बाग में क्लाउड सीडिंग का हुआ सफल परीक्षण, अब बारिश का इतंजार

Delhi Cloud Seeding: दिल्ली में मंगलवार को क्लाउड सीडिंग का पहला परीक्षण हो गया। बुराड़ी और करोल बाग इलाके में विमान से क्लाउड सीडिंग की गई है।

राजधानी दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का पहला परीक्षण हो गया है। आज बुराड़ी और करोल बाग इलाके में कानपुर से आए विमान ने क्लाउड सीडिंग की। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि बुराड़ी और करोल बाग इलाकों सहित दिल्ली के कुछ हिस्सों में क्लाउड-सीडिंग का पहला परीक्षण किया गया है। अब बारिश का इंतजार है।

आईआईटी कानपुर ने दिल्ली के ऊपर क्लाउड-सीडिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, यह गलियारा लगभग 25 समुद्री मील लंबा और 4 समुद्री मील चौड़ा है, जिसमें सबसे बड़ी दूरी खेकड़ा और बुराड़ी के थोड़ा उत्तर के बीच तय की गई है। पहले दौर में जमीनी स्तर से लगभग 4,000 फीट की ऊंचाई पर छह फ्लेयर्स छोड़े गए, जिनकी जलने की अवधि 18.5 मिनट थी। दूसरी उड़ान ने दोपहर 3:55 बजे उड़ान भरी, जिनसे करीब 5000-6,000 फीट की ऊंचाई पर आठ फ्लेयर छोड़े।
अधिकारियों के अनुसार, विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और यह परीक्षण किया। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने के उद्देश्य से यह परीक्षण किया गया है। सर्दियों के महीनों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को कम करने की दिल्ली सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

सरकार ने पिछले हफ्ते बुराड़ी के ऊपर एक परीक्षण उड़ान भरी थी। परीक्षण के दौरान, कृत्रिम वर्षा कराने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों की थोड़ी मात्रा विमान से छोड़ी गई। हालांकि, क्लाउड सीडिंग के लिए आमतौर पर आवश्यक 50 प्रतिशत की तुलना में 20 प्रतिशत से भी कम वायुमंडलीय नमी के कारण, वर्षा नहीं हो सकी।

15 मिनट से चार घंटे के भीतर दिल्ली में बारिश: सिरसा
पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने ट्रायल को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि आठ अग्नि फ्लेयर्स छोड़े गए। दिल्ली के आसमान में परीक्षण आधे घंटे तक चला। आगे कहा कि आईआईटी-कानपुर का कहना है कि क्लाउड-सीडिंग परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है। दूसरा परीक्षण आज बाद में बाहरी दिल्ली में किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में 9-10 परीक्षणों की योजना है।

क्लाउड सीडिंग से पहले पर्यावरण मंत्री का बयान
उड़ान भरने से पहले पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि कानपुर से खास विमान आते ही यह काम शुरू हो जाएगा। अभी कानपुर में धुंध के कारण दृश्यता 2,000 मीटर है, जैसे ही 5,000 मीटर हो जाएगी, विमान उड़कर दिल्ली आएगा।

सिरसा ने कहा था कि विमान आते ही आज परीक्षण हो जाएगा। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आईटीओ घाट पर उगते सूरज को अर्घ्य दिया था। उनके साथ मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा, कपिल मिश्रा और रविंदर इंद्राज भी थे। सिरसा ने कहा था कि छठ पूजा बहुत धूमधाम से मनाई गई। बीते दिन मुख्यमंत्री ने डूबते सूर्य को प्रणाम किया, आज उगते सूर्य से दिल्ली की तरक्की की दुआ मांगी।

उन्होंने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आप वाले तीन दिन से नकारात्मक बातें फैला रहे हैं। उन्हें त्योहार में शामिल होना चाहिए था। छठी मइया उन्हें सद्बुद्धि दें। क्लाउड सीडिंग का मकसद यह परीक्षण दिल्ली की गंदी हवा साफ करने के लिए किया जा रहा है। इससे कृत्रिम बारिश होगी, जो प्रदूषण कम करेगी।

पहले बुराड़ी में टेस्ट उड़ान हुई थी। उसमें चांदी का आयोडाइड और नमक छोड़ा गया, लेकिन हवा में नमी सिर्फ 20 फीसदी थी।इसलिए बारिश नहीं हुई। मौसम विभाग ने कहा है कि 28 से 30 अक्तूबर तक बादल अच्छे रह सकते हैं। मुख्यमंत्री गुप्ता ने कहा कि अगर मौसम ठीक रहा तो 29 अक्तूबर को दिल्ली में पहली कृत्रिम बारिश हो सकती है। 

क्लाउड सीडिंग क्या है
क्लाउड सीडिंग, जिसे कृत्रिम वर्षा के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य बादलों में विशेष रसायनों का छिड़काव करके वर्षा कराना है। यह तकनीक उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहाँ प्राकृतिक रूप से वर्षा की मात्रा कम होती है। क्लाउड सीडिंग का सीधा संबंध प्रदूषण को कम करने से नहीं है, बल्कि यह अप्रत्यक्ष रूप से वायु गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक हो सकती है।

क्लाउड सीडिंग कैसे होती है
क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया में, बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड या शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है। ये रसायन बादलों में मौजूद जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे वे पानी की बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाते हैं। जब ये बूंदें या क्रिस्टल पर्याप्त भारी हो जाते हैं, तो वे वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं। इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त प्रकार के बादल और वायुमंडलीय परिस्थितियाँ अत्यंत आवश्यक हैं।

प्रदूषण पर अप्रत्यक्ष प्रभाव
क्लाउड सीडिंग सीधे तौर पर प्रदूषण फैलाने वाले कणों को हटाती नहीं है, लेकिन वर्षा के माध्यम से यह हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में योगदान दे सकती है। जब वर्षा होती है, तो हवा में निलंबित धूल, पराग कण और अन्य प्रदूषक कण पानी की बूंदों के साथ मिलकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार, वर्षा हवा को स्वच्छ करने का कार्य करती है। यह विशेष रूप से उन शहरों या औद्योगिक क्षेत्रों के लिए फायदेमंद हो सकता है जहाँ वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है।

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