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Pollution: तेज प्रदूषण के लिए हो जाइये तैयार, पराली जलाने की घटनाओं के साथ खराब होगी हवा

नवंबर महीने की शुरुआत हो गई है और इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में धान की फसलों की कटाई तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। पंजाब के लिए खुशहाली लेकर आने वाला यह समय दिल्ली वालों के लिए एक आपातकाल की तरह होता है, क्योंकि यही वह समय होता है जब दिल्ली में वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है। इस वायु प्रदूषण में अहम हिस्सेदारी पराली जलाने से पैदा हुए धुएं की होती है। पराली जलाने से हानिकारक गैसें और धुआं हवा में घुलता है जो हवा के साथ दिल्ली पहुंचता है। इस समय हवा की गति तेज न होने के कारण ये धुएं के कण लंबे समय तक दिल्ली के आसमान में छाए रहते हैं जो गंभीर प्रदूषण का कारण बनते हैं।

नवंबर महीने की शुरुआत हो गई है और इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में धान की फसलों की कटाई तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। पंजाब के लिए खुशहाली लेकर आने वाला यह समय दिल्ली वालों के लिए एक आपातकाल की तरह होता है, क्योंकि यही वह समय होता है जब दिल्ली में वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है। इस वायु प्रदूषण में अहम हिस्सेदारी पराली जलाने से पैदा हुए धुएं की होती है। पराली जलाने से हानिकारक गैसें और धुआं हवा में घुलता है जो हवा के साथ दिल्ली पहुंचता है। इस समय हवा की गति तेज न होने के कारण ये धुएं के कण लंबे समय तक दिल्ली के आसमान में छाए रहते हैं जो गंभीर प्रदूषण का कारण बनते हैं।

एक्यूवेदर की जानकारी के अनुसार, रविवार शाम से मंगलवार तक वायु गुणवत्ता की स्थिति ज्यादा खराब रह सकती है। इसके बाद के पूरे पखवाड़े में भी हवा की गुणवत्ता में सुधार होने की कोई संभावना नहीं है। पराली जलाने, बारिश न होने और हवा की गति में तेजी न होने का मिलाजुला असर गंभीर प्रदूषण के रूप में सामने आ सकता है। सांस के मरीजों को इससे गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।
राजधानी दिल्ली में पिछले दस दिनों में पांच दिन औसत वायु सूचकांक 300 अंक के ऊपर रहा है। यह अति गंभीर श्रेणी से केवल एक पैमाना नीचे है। लेकिन इस दौरान भी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से 500 अंक तक पहुंचता रहा है। यह वायु प्रदूषण की गंभीरतम श्रेणी है। पर्यावरण विदों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले 15-20 दिन वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहद गंभीर हो सकते हैं।

हवा-बारिश की गुंजाइश कम
एक्यूवेदर के अनुसार, दिल्ली और आसपास के इलाकों में फिलहाल बारिश होने की कोई संभावना नहीं है। अभी हवा की गति में सुधार होने की भी बहुत संभावना नहीं है। आसमान में धुंध छाए रहने के साथ बीच-बीच में आसमान साफ रहने की संभावना है। इस सप्ताह हवा की गति मुख्य रूप से तीन से पांच मीटर प्रति सेकेंड के बीच बने रहने की संभावना है। यह गति वायु प्रदूषण की दृष्टि से बहुत अनुकूल नहीं है। यही कारण है कि इस दौरान हवा में आए प्रदूषणकारी तत्वों के हवा के साथ बहकर दूर जाने की संभावना कम रहती है। इस कारण भी प्रदूषण से राहत मिलने की संभावना कम ही है।

पराली जलाने की घटनाएं कितनी
आईएआरआई के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं यूपी से सामने आई हैं जहां इस दौरान 734 पराली जलाने की घटना हुई। पंजाब में इस दौरान इस साल केवल 561 घटनाएं ही घटीं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 1678 थी। दिल्ली में इस दौरान पराली जलाने की केवल तीन ही घटना सामने आई है। दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने की गंभीर कोशिशें हुई हैं। पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन ये प्रयास बहुत सफल नहीं रहे हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर एक दूसरे से टकराते रहे हैं।

भाजपा-आप में टकराव
प्रदूषण के साथ-साथ भाजपा और आम आदमी पार्टी में इस मुद्दे पर टकराव तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार पर प्रदूषण के मुद्दे पर कुछ गंभीर कदम न उठाने का आरोप लगाया है। वहीं, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि आम आदमी पार्टी अपनी असफलता को अब तक पचा नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने यदि 11 साल सत्ता में रहते हुए प्रदूषण के खिलाफ कोई भी काम किया होता तो आज इस तरह की स्थिति देखने को न मिलती। लेकिन सरकार काम कर रही है और इसके नतीजे जल्द ही दिखाई पड़ेंगे।

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