 
                    पूंजी बाजार नियामक सेबी ने भर्ती अभियान शुरू किया है और अलग-अलग क्षेत्रों में 110 वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए आवेदन मांगे हैं। सेबी के इस कदम से भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) में कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी। इससे नियामक की उभरती चुनौतियों और बढ़ती जिम्मेदारियों से निपटने में मदद मिलेगी। विशेष रूप से बाजार के विस्तार और निवेश के मामले में धोखाधड़ी कम करने से जुड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सके।
चयन प्रक्रिया तीन चरणों में होगी- दो ऑनलाइन परीक्षाएं और उसके बाद साक्षात्कार। 2024-25 में, नियामक ने ग्रेड ए में विभिन्न धाराओं में 96 अधिकारियों की भर्ती की। मार्च 2025 तक सेबी के विभिन्न ग्रेडों में कुल कर्मचारियों की संख्या 1,105 थी। इनमें से 1,037 कर्मचारी अधिकारी हैं, जबकि 68 कर्मचारी सचिवीय और अन्य कर्मचारी हैं। नियामक की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पुरुष और महिला कर्मचारियों की संख्या क्रमशः 787 और 318 है।
1988 में सरकार की ओर से गठित सेबी को 1992 में सेबी अधिनियम पारित होने के बाद वैधानिक शक्तियां प्रदान की गईं। उस दौरान हर्षद मेहता घोटाले के कारण भारतीय बाजार को चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। सेबी की प्रस्तावना के अनुसार, नियामक को प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ प्रतिभूति बाजारों को बढ़ावा देने और विनियमित करने का भी दायित्व सौंपा गया है।
यह स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य प्रतिभूति बाज़ारों में कारोबार को नियंत्रित करता है, ब्रोकरों, मर्चेंट बैंकरों, रजिस्ट्रारों, पोर्टफोलियो प्रबंधकों और निवेश सलाहकारों सहित विभिन्न बाज़ार मध्यस्थों, साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, म्यूचुअल फंडों और वेंचर कैपिटल फंडों का पंजीकरण और विनियमन करता है। इसके अलावा, सेबी को धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं, भेदिया व्यापार और अन्य हेराफेरी गतिविधियों की जांच करने का भी दायित्व सौंपा गया है।

 
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
 
         
         
         
         
        
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