ग्रामीण भारत ने शहरी इलाकों को पछाड़ा; बढ़ती आय, आसान कर्ज और अच्छी बारिश से बढ़ा उपभोग
Consumption: सरकार ने शहरी उपभोग को बढ़ाने के लिए आयकर में कटौती और जीएसटी सुधार जैसे कदम उठाए, लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में खपत ज्यादा बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही से ग्रामीण खपत में लगातार इजाफा हो रहा है। मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में क्या कहा है, आइए जानते हैं विस्तार से।
देश में उपभोग की रफ्तार अब शहरों से ज्यादा गांवों में देखने को मिल रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की ताजा इकोस्कोप रिपोर्ट ‘रूरल रूल्स, अर्बन फॉलोज’ के मुताबिक, आय में बढ़ोतरी, कर्ज की आसान उपलब्धता और बेहतर मानसून के कारण ग्रामीण भारत में खपत तेजी से बढ़ी है।
शहरों को बढ़ावा मिलने के बावजूद गांवों के हालात अधिक बेहतर
सरकार ने शहरी उपभोग को बढ़ाने के लिए आयकर में कटौती और जीएसटी सुधार जैसे कदम उठाए, लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में खपत ज्यादा बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही से ग्रामीण खपत में लगातार इजाफा हो रहा है। वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में यह 7.7% की सालाना दर से बढ़ी। यह पिछली 17 तिमाहियों में सबसे तेज है।
क्यों बढ़ी ग्रामीण खपत?
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- आय गारंटी योजनाएं: सरकार की योजनाओं से ग्रामीण लोगों की आय में सुधार हुआ।
- बेहतर मानसून: अच्छी बारिश से खेती में बढ़ोतरी हुई।
- कर्ज की उपलब्धता: एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) ने ग्रामीण इलाकों में कर्ज देना आसान किया।
- कम लागत और स्थिर एमएसपी: खेती की लागत घटी और न्यूनतम समर्थन मूल्य स्थिर रहा, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ी।
शहरी खपत में सुस्ती, लेकिन उम्मीद बाकी
हालांकि शहरी इलाकों में भी कुछ सुधार देखने को मिला है, लेकिन वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में वहां की खपत धीमी रही। त्योहारों के मौसम से पहले पेट्रोल की मांग और गैर-कृषि आयात जैसे संकेतकों में सुधार देखा गया है, जिससे उम्मीद है कि तीसरी तिमाही में शहरी खपत में तेजी आएगी।
किन क्षेत्रों में दिखा सुधार?
किन क्षेत्रों में कैसी रही मांग?
- ऑटो और ज्वेलरी: इन क्षेत्रों में अच्छी बिक्री देखी गई
- एफएमसीजी, फुटवियर, टेक्सटाइल्स: इन क्षेत्रों में मिला-जुला प्रदर्शन रहा।
- रिटेल और मॉल्स: अक्तूबर में मॉल्स में भीड़ बढ़ी और ई-वे बिल, पेट्रोल खपत जैसे संकेतक मजबूत रहे।
देश में मांग पर अब आगे क्या उम्मीद है?
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण मांग आने वाले समय में भी मजबूत बनी रह सकती है। इसकी वजह है बढ़ती मजदूरी, अच्छी रबी फसल की संभावना और कम महंगाई। वहीं, त्योहारों के चलते शहरी मांग में भी सुधार की उम्मीद है, खासकर आभूषण जैसे उत्पादों में।
आर्थिक वृद्धि दर पर क्या अनुमान?
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8% रहने की संभावना है। अगर टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताएं कम होती हैं, तो इसमें 0.2% से 0.3% तक की और बढ़ोतरी हो सकती है।
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