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Delhi: हर छठे दिन किसी एक डूबते हुए का सहारा बनते हैं गोताखोर, 13 महीनों में बचाई 66 लोगों की जान

गोताखोरों का कहना है कि यह कार्य आसान नहीं होता। उन्हें कई बार तेज बहाव, गंदे पानी और जोखिम भरे हालातों का सामना करना पड़ता है। फिर भी जब वे किसी की जान बचा पाते हैं, तो उन्हें मानसिक संतोष और सुकून का अनुभव होता है।

दिल्ली में हर छठे दिन किसी न किसी की जिंदगी खतरे में होती है, जब वह नदी, नहर या किसी जलाशय में डूबने लगता है लेकिन ऐसे संकट की घड़ी में गोताखोर एक मसीहा बनकर सामने आते हैं। ये बहादुर गोताखोर अपनी जान की परवाह किए बिना पानी में कूदकर लोगों की जिंदगी बचाते हैं।

बीते 13 महीनों में दिल्ली के इन गोताखोरों ने करीब 66 लोगों की जान बचाकर यह साबित किया है कि इंसानियत आज भी जिंदा है। ये घटनाएं यमुना नदी, बवाना, कुंडली और जैदपुरा नहर सहित कई अन्य जलाशयों के पास सामने आई हैं, जहां आम लोगों के लिए पानी की गहराई मौत का कारण बन सकती थी, लेकिन गोताखोरों की सतर्कता और साहस ने इन हादसों को टाल दिया।

बूट क्लब के इंचार्ज हरीश कुमार ने बताया कि डूबने वाले लोगों को बचाने के लिए डीएम ईस्ट बूट क्लब सक्रिय रूप से कार्य करता है, जिसके अंतर्गत लगभग 18 लोग कार्यरत हैं। इसके नोडल अधिकारी पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी अमोल श्रीवास्तव हैं। अधिकतर डूबने की घटनाएं गर्मियों के मौसम में होती हैं, जब लोग नहाने या तैरने के लिए जलाशयों का रुख करते हैं। कई बार आत्महत्या के प्रयास भी इन घटनाओं का कारण बनते हैं।

गोताखोरों का कहना है कि यह कार्य आसान नहीं होता। उन्हें कई बार तेज बहाव, गंदे पानी और जोखिम भरे हालातों का सामना करना पड़ता है। फिर भी जब वे किसी की जान बचा पाते हैं, तो उन्हें मानसिक संतोष और सुकून का अनुभव होता है। 

वीआईपी मूवमेंट पर गोताखोर होते हैं तैनात
गोताखोरों की भूमिका वीआईपी मूवमेंट के दौरान महत्वपूर्ण होती है। खासतौर पर जब यह मूवमेंट किसी नदी, नहर या झील के आसपास होती है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे की सुरक्षा के लिए जल स्रोतों की निगरानी भी एक अहम हिस्सा बन जाती है। ऐसे मौकों पर प्रशिक्षित गोताखोरों को विशेष रूप से तैनात किया जाता है ताकि किसी भी आपात स्थिति या सुरक्षा खतरे से तुरंत निपटा जा सके। बूट क्लब इंचार्ज हरीश कुमार ने बताया कि गोताखोर पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर समन्वय से कार्य करते हैं।

पुलिस स्टेशन व दमकल विभाग से आती हैं कॉल
हरीश कुमार ने बताया कि शहर के सभी पुलिस स्टेशनों और दमकल विभाग से डूबने की घटनाओं की कॉल आती हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति पानी में डूबने लगता है या कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है, तुरंत पुलिस या दमकल विभाग को सूचना दी जाती है। इसके बाद संबंधित विभाग हरीश कुमार और उनकी टीम को सूचित करता है। हरीश कुमार वर्षों से जल सुरक्षा सेवाओं से जुड़े हुए हैं और उनकी 18 लोगों की टीम तेजी से घटनास्थल पर पहुंचकर लोगों की जान बचाने का कार्य करती है। उन्होंने बताया कि गर्मियों के मौसम में नदियों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों में नहाने जाने वालों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे डूबने की घटनाएं भी बढ़ती हैं।

बवाना नहर से आती है डूबने की सबसे ज्यादा घटनाएं  
दिल्ली में डूबने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और इनमें सबसे ज्यादा मामले बवाना नहर से सामने आते हैं। राजधानी में बवाना के अलावा कुंडली और जैदपुरा नहर भी हैं, जहां से डूबने की खबरें अक्सर मिलती रहती हैं। गर्मी के मौसम में लोग नहरों में नहाने या तैरने जाते हैं, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम न होने के कारण ये नहरें हादसों का कारण बन जाती हैं। अधिकांश मामलों में लोग गहराई या तेज बहाव का अंदाजा नहीं लगा पाते और डूब जाते हैं। जैसे ही किसी डूबने की सूचना मिलती है, राहत और बचाव दल मौके पर पहुंचता है और सर्च ऑपरेशन शुरू करता है।

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