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दिल्ली में ईद से पहले विवाद: मोहन सिंह बिष्ट बोले- हम नमाज के खिलाफ नहीं, बंद हों मीट की दुकानें; आप ने घेरा

दिल्ली में ईद से पहले सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर आप और भाजपा के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है। वहीं भाजपा नवरात्रि में मीट की दुकानें बंद करने की मांग कर रही है।

उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक नमाज को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। कई जगहों पर निर्देश जारी हो चुके हैं तो वहीं कई जगहों पर बयानबाजी शुरू हो चुकी है। राजधानी दिल्ली में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने सड़कों पर नमाज न होने को लेकर पत्र लिखा। जिसके बाद बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया। दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि हम नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन उन्हें सड़क पर नमाज पढ़कर लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।

मीट की दुकानें बंद होनी चाहिए: रविंदर सिंह नेगी
वहीं दूसरी तरफ भाजपा विधायक रविंदर सिंह नेगी ने इस बयान पर कहा कि नवरात्रि के दौरान दिल्ली में मीट की दुकानें बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं नवरात्रि के दौरान मीट, अंडे, मछली या शराब की बिक्री के खिलाफ हूं। नवरात्रि के दौरान भाईचारे के प्रतीक के तौर पर मीट की दुकानें बंद होनी चाहिए।
भाजपा के बयान पर संजय सिंह का तंज
भाजपा विधायकों और नेताओं के बयानों को लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि यहां कई देशों के दूतावास हैं। वहां मीट और मछली पकाई जाती है। दिल्ली में कई देशों के गेस्ट हाउस हैं, वहां भी मीट पकाया जाता है। केएफसी की दुकानें और भाजपा नेताओं के रेस्टोरेंट खुले हैं। हिम्मत है तो उन्हें बंद करके देखें। नवरात्रि के दौरान शराब की दुकानें क्यों खुली हैं? नवरात्रि के दौरान शराब की दुकानें बंद रखें।

सड़क पर नमाज रोकने के लिए पुलिस आयुक्त को लिखा पत्र
रमजान के अंतिम जुमे की नमाज को लेकर शकूर बस्ती से भाजपा विधायक करनैल सिंह ने पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को पत्र लिखा था। उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने से यातायात बाधित होने का हवाला देते हुए उचित कार्रवाई की मांग की।

उन्होंने पत्र में कहा कि हम सभी को अपने-अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित न हो। इससे आम नागरिकों, एंबुलेंस और स्कूल बसों को परेशानी होती है। उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया कि धार्मिक गतिविधियों को निर्धारित स्थानों या निजी परिसरों तक सीमित किया जाए, ताकि जनता को असुविधा न हो।

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