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गैस चैंबर बनी दिल्ली!… एक दशक में भी स्थिति सुधारने में नाकामयाब रहा शासनतंत्र

दीपक शर्मा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में सांस लेना फिर हुआ दूभर हो गया है। पिछले एक दशक में दिल्ली में केंद्र की सत्ता यानी दिल्ली के तख्त पर गुजरात मॉडल वाले नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में आसीन हैं, तो दिल्ली वालों को देश का सबसे बेहतरीन प्रदेश देने के वादे के साथ सत्ता पर आसीन अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) विराजमान हैं।

इन दो कथित कर्तव्यपरायण, ऊर्जावान तथा स्वच्छ शासन का दावा करने वालों की छत्रछाया में दिल्ली वाले वायु गुणवत्ता दो दिन के अंतराल के बाद रविवार को फिर से बेहद खराब वायु गुणवत्ता के चलते बेमौत मारे जा रहे हैं अथवा श्वास संबंधी गंभीर बीमारियों का शिकार होकर धीमे जहर के कारण मौत की और अग्रसर हैं। दिल्लीवासियों की इस स्थिति को लेकर जवाबदेही किसकी हैं? तो जवाब है केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार की। चूंकि प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्री-संत्री व देश के तमाम माननीय सांसद दिल्ली में रहते है। तमाम केंद्रीय कार्यालय दिल्ली में है। इसके बावजूद ऐसी स्थिति शर्मनाक है। सत्ताधारी नेता स्वयं के लिए तो घर से लेकर कार-कार्यालय तक में एयर प्यूरीफायर के जरिये स्वच्छ वायु का आनंद घर से लेकर खुद को सुरक्षित बनाये है। जनता के लिए क्या?

ठीक इसी प्रकार आम आदमी पार्टी की सरकार जिसका मात्र सीएम चेहरा बदला है कार्यशैली नहीं दिल्ली की जनता की सेहत के लिए पिछले एक दशक में कुछ भी ख़ास नहीं कर पाई क्योंकि स्थिति जस की तस बनी हुई है। पिछले एक दशक में अपने चहरे को चमकाने के लिए अरविन्द केजरीवाल ने करोडो के विज्ञापन मीडिया से लेकर सड़को, सार्वजानिक वाहनों व प्रतिष्ठानों पर चस्पा करवाए लेकिन डिल की वायु गुणवत्ता को लेकर कोई भी क्रांतिकारी कदम नहीं उठा सके। पानी का छिड़काव तथा ओड-इवन का खेल करने के बावजूद स्थिति में कोई आशातीत सुधार नहीं दिखा। उलटे सड़को के गड्ढो ने वाहनों के प्रदूषण में इजाफा ही किया है। दिल्ली सरकार भूल जाती है कि पड़ोसी राज्यों से हजारों वाहन जो रोजाना राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करते है, उनमें सार्वाधिक वाहन डीजल चलित होते हैं। आप लाख ई अथवा सीएनजी चलित वहां चलवा ले लेकिन अन्य राज्यों से आने वाले भारी वाहनों का क्या? साथ ही विकास के नाम पर लगातार जारी निर्माण कार्य तथा ध्वनि प्रदूषण ने आग में घी का काम जारी रखा हुआ है। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि रविवार को जबकि माना जाता है सड़को पर संख्या कम होती है में भी दिली की वातयु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 359 दर्ज किया गया जबकि शनिवार को यह 255 था।

सीपीसीबी ने 40 निगरानी केंद्र में से 36 का आंकड़ा साझा किया, जिसमें से आनंद विहार, अलीपुर, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका, वजीरपुर, विवेक विहार और सोनिया विहार में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई जबकि शेष 28 में एक्यूआई ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रहा। शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।

मौजूदा स्थिति और आमजन की हितैषी होने का दम भरने वाली केंद्र व दिल्ली सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए मिलकर त्वरित कदम उठाने की दिशा में अग्रसर होकर मानवीय दृष्टिकोण के अनुरूप आमजन की जान की कीमत को समझनी चाहिए।

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