राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली साइबर ठगों के निशाने पर हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर जिले में शुरू किए साइबर सेल थानों में रोजाना 400 से अधिक शिकायतें साइबर ठगी से संबंधित आ रही हैं। लेकिन इन मामलों की सुलझाने की दर बेहद कम है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है साइबर सेल थानों में तैनात कर्मचारियों कमी है।
ऐसे में पुलिस के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। एक थाने के एक जांच अधिकारी के पास कई शिकायतों का बोझ होता है। औसतन देखा जाए तो एक थाने में रोजाना 25 से 30 शिकायतें आती हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक साइबर थाने में मौजूदा पुलिस बल से ही कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। मजबूत तकनीकी कौशल वाले स्नातक उम्मीदवारों को कई सप्ताह के गहन प्रशिक्षण से गुजरने के बाद इन थानों में लगाया गया है।
-स्टाॅफ की कमी के कारण जांच में होती है देरी…
बताया जा रहा है कि ठगी की रकम पीड़ित को वापस करने के मामले अभी सिर्फ 20 फीसदी ही हैं। अधिकारियों का कहना है कि सभी पीड़ित अपना पैसा जल्द वापस चाहते हैं। लेकिन जांच उतनी आसान नहीं है, जितना पीड़ित सोचता है। बैंकों को पत्र लिखने से लेकर, संदिग्धों का विवरण एकत्र करने और उनके घरों पर दबिश या नोटिस देने समेत काम काम किया जाता है। जब मामला सुलझ जाता है तब चार्जशीट दाखिल किया जाता है। लेकिन यह सब कार्य स्टाफ की कमी के कारण देरी प्रभावित होता है।
नई दिल्ली में सबसे कम तो शाहदरा में सबसे ज्यादा तैनाती
राजधानी के नई दिल्ली जिले के साइबर सेल थाने में सबसे कम 26 कर्मचारियों की तैनाती हैं। इस थाने में ठगी से संबंधित मामले भी कम हैं। यहां पर बीते साल साइबर ठगी के 2200 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं इस साल अप्रैल तक 800 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि यमुनापार के शाहदरा जिले के साइबर सेल थाने में सबसे ज्यादा 72 कर्मचारियों की तैनाती हैं। ठगी के मामलों की बात करें तो बीते साल साइबर ठगी के 8500 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं इस साल अप्रैल तक 3500 मामले दर्ज किए गए हैं।
48700 मामले किए गए हैं इस साल दर्ज
इस साल जनवरी से अप्रैल तक सभी 15 जिलों के साइबर सेल थानों में 48,700 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं बीते साल 1.32 लाख मामले दर्ज किए गए थे। खास बात यह है कि इस साल साइबर ठगों ने दिल्लीवासियों से 450 करोड़ से अधिक की रकम की ठगी हैं। वहीं बीते साल यह आंकड़ा 700 करोड़ था।
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