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पुलिसकर्मियों की गवाही में स्पष्टता न होने के चलते नौ लोग बरी, कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिया फैसला

पूर्वी दिल्ली। दिल्ली दंगे में गोदाम व वाहन जलाने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने नौ लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। पुलिसकर्मियों की गवाही में स्पष्टता न होने के चलते अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया। गोकलपुर थाना क्षेत्र में शिव विहार तिराहा के पास चमन पार्क स्थित एसएस ग्लास एंड प्लाईवुड कंपनी के गोदाम में 25 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने आग लगा दी थी। कंपनी के मालिक दिनेश अग्रवाल ने घटना के तीन दिन बाद पुलिस को शिकायत दी थी। उसमें यह भी बताया गया था कि दंगाइयों ने टेंपो और मोटरसाइकिल भी जला दी थी। दो अन्य वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस पर, पुलिस ने प्राथमिकी पंजीकृत की थी।

 

इस मामले में कांस्टेबल विपिन और हेड कांस्टेबल हरी बाबू चश्मदीद गवाह के रूप में सामने आए थे। इनके पहचानने पर शाहनवाज उर्फ शानू, आजाद, शाहरुख, मोहम्मद शोएब, मोनू उर्फ राशिद, परवेज, राशिद, मोहम्मद फैसल और अशरफ अली को आरोपित बनाया गया था। इनके खिलाफ दिसंबर 2021 को आरोप तय हुए थे।

 

ट्रायल के दौरान तीन आरोपितों की ओर से पैरवी कर रहे वकील जेड बाबर चौहान ने दलील दी कि इस केस में पब्लिक से कोई भी गवाह नहीं है। आरोपितों के वकील ने चश्मदीद पुलिसकर्मियों की गवाही पर संदेह जताया। इसी तरह बाकी आरोपितों की ओर से वकील सलीम मलिक और अब्दुल गफ्फार ने दलील देते हुए कहा कि सार्वजनिक सूचना निकलने पर गवाह बने पुलिसकर्मियों ने अपना बयान रिकॉर्ड नहीं कराया था। अभियोजन की ओर से भी दलीलें दी गईं। जिसके बाद कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया

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