header advertisement

“हर नागरिक की है साझा जिम्मेदारी – जल को बचाना ही भविष्य को बचाना है”– विजेंद्र गुप्ता 

दिल्ली विधानसभा में हुआ पानी की कहानी” पुस्तक का लोकार्पण 

नवीन गौतम, नई दिल्ली।

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज दिल्ली विधानसभा में “पानी की कहानी” पुस्तक का लोकार्पण किया l इस अवसर पर बोलते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि जल केवल एक संसाधन नहीं, जीवन का आधार है। दुर्भाग्यवश, आज हम सभी अनियंत्रित उपभोग और लापरवाह व्यवहार के कारण जल संकट के गंभीर दौर में प्रवेश कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जल संकट अब केवल स्थानीय नहीं रहा, बल्कि वैश्विक रूप ले चुका है, जिसके समाधान के लिए जनजागरण आवश्यक है।

कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली विधानसभा की विधायी अध्ययन ब्यूरो और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक गोपाल आर्य और पुस्तक के लेखक संजय स्वामी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

 

अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने लेखक संजय स्वामी को इस महत्वपूर्ण और सामयिक कृति के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि ‘पानी की कहानी’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि जल संकट के प्रति समाज को सजग करने वाला एक चेतावनी-संदेश, एक आह्वान और समाधान की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।

 

श्री गुप्ता ने जल संरक्षण में जनभागीदारी को अत्यंत आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि साफ पानी के संरक्षण की जिम्मेदारी केवल सरकार या संस्थाओं की नहीं है, बल्कि यह हम सभी की साझा नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को इस दिशा में व्यक्तिगत योगदान देना होगा। नल बंद रखना, वर्षा जल संचयन करना और जल-कुशल आदतें अपनाना जैसे छोटे लेकिन असरदार कदम बड़े बदलाव की दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने अंत में कहा कि हर बूँद बचाना और भविष्य को संवारना हमारी सबसे बड़ी सेवा और सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

 

श्री गुप्ता ने आशा व्यक्त की कि ‘पानी की कहानी’ पुस्तक विशेषकर युवाओं और छात्रों को जल की महत्ता समझाने और संरक्षण के व्यावहारिक उपायों को अपनाने की दिशा में प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पाठकों को गहराई से प्रभावित करेगी और जल के प्रति जिम्मेदारी का भाव जागृत करेगी। स्पीकर ने कहा कि यह पुस्तक केवल एक कहानी नहीं है, यह एक आह्वान है। यह वैज्ञानिक समझ और सरल भाषा के माध्यम से ऐसे व्यावहारिक सुझाव प्रस्तुत करती है जो व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर जल संरक्षण के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।

 

डॉ. अतुल कोठारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जल संरक्षण केवल पर्यावरणीय विषय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़ा हुआ विषय है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में जल को केवल उपयोग की वस्तु नहीं, बल्कि पूजनीय तत्व के रूप में देखा गया है और यह दृष्टिकोण आज पुनः अपनाने की आवश्यकता है।

 

मा. गोपाल आर्य ने पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में जागरूकता लाकर, जन-आंदोलन के रूप में जल संरक्षण को आगे बढ़ाना समय की माँग है। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय शिक्षा को व्यवहारिक जीवन में स्थान देना होगा।

 

पुस्तक के लेखक संजय स्वामी ने बताया कि इस पुस्तक को तैयार करते समय उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों के साथ-साथ आम जनमानस की समझ और भाषा को प्राथमिकता दी, ताकि संदेश समाज के हर वर्ग तक सरलता से पहुँच सके। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि व्यवहार में ठोस परिवर्तन लाना है।

 

इस मौके पर रोहताश नगर के विधायक जितेंद्र महाजन भी उपस्थित रहे।समारोह में बड़ी संख्या में शिक्षकगण, विद्यार्थी, पर्यावरण कार्यकर्ता, गणमान्य नागरिक एवं समाजसेवियों ने भाग लिया।सभी ने पुस्तक की विषयवस्तु, भाषा और प्रासंगिकता की सराहना की।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics