मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अजेय बढ़त बना ली है। एक बार फिर बीजेपी राज्य की सत्ता में काबिज होने जा रही है। मध्य प्रदेश में जीत के लिए इस बार पार्टी ने क्या रणनीति बनाई कि उसे भारी मतों से जीत मिली। इस पर पार्टी नेताओं का कहना है कि वोटिंग से 4 हफ्ते पहले ही पार्टी ने इतनी जोरदार कोशिश की, जो एकदम सर्जिकल स्ट्राइक की तरह थी और इसी कोशिश ने गेम पलट दिया।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राज्य में चुनाव प्रचार का जिम्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने लिया हुआ था। पीएम मोदी ने कैंपेन संभाली और अमित शाह ने जमीनी स्तर पर पार्टी की जीत के लिए काम किया। वहीं, पार्टी की जनआशीर्वाद यात्रा का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी शिवराज के बजाय केंद्रीय मंत्रियों को सौंप दी गई। यहां तक की मुख्यमंत्री उम्मीदवार के लिए भी शिवराज सिंह चौहान के नाम की घोषणा नहीं की गई। इसके अलावा, बीजेपी ने महिलाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा की।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में पार्टी ने अपनी रणनीति और माइक्रो-मैनेजमेंट पर खास काम किया है ताकि कार्यकर्ता चुनाव जीतने के लिए काम करें और पार्टी को विजयी बनाएं। बीजेपी नेता कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव से इस बार का चुनाव इसलिए अलग है क्योंकि इस बार पार्टी के कैडर ने ज्यादा सक्रियता दिखाई है।
उन्होंने कहा कि जीत के लिए कैडर ने यहां ज्यादा वक्त गुजारा ताकि उस संगठन को फिर खड़ा कर सके, जो पूर्व बीजेपी अध्यक्ष कुशभाऊ ठाकरे ने तैयार था। पार्टी का फोकस इस बार युवाओं, संगठन के विस्तार की प्रक्रिया को मजबूत करने और समर्थन इकट्ठा करने पर रहा। साल 1998 से 2000 तक कुशभाऊ ठाकरे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और मध्य प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्हें बीजेपी का पितृपुरुष भी कहा जाता है।
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