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Delhi: जंतर-मंतर पर जनवरी से मार्च तक विरोध के स्वर हुए मुखर, पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल हुए अधिक प्रदर्शन

2018 के बाद से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। इससे पहले यहां पर प्रदर्शन करने वालों के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं थी। लोग कई दिनों तक सड़कों पर चादर बिछाकर और टेंट लगाकर रहते थे और विरोध करते थे।

जंतर-मंतर पर पिछले साल के मुकाबले इस साल जनवरी से मार्च तक विरोध प्रदर्शन करने वालों की संख्या बढ़ गई है। यहां आकर अपनी बात कहने वालों की आवाज राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन तक पहुंचती है। पिछले साल जनवरी से मार्च तक कुल 202 और इस साल मार्च तक 292 प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें पिछले साल के मुकाबले इस साल 90 प्रदर्शन अधिक हुए हैं।

2018 के बाद से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। इससे पहले यहां पर प्रदर्शन करने वालों के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं थी। लोग कई दिनों तक सड़कों पर चादर बिछाकर और टेंट लगाकर रहते थे और विरोध करते थे। स्थानीय लोगों को भीड़ और शोरगुल से परेशानी होने लगी, इसके बाद उन्होंने प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए अदालत में याचिका दायर की।
याचिका पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को प्रदर्शन को लेकर दिशा-निर्देश तय करने के आदेश दिए। इसके बाद पुलिस की ओर से जगह और समय निर्धारित करने के नियम लागू कर दिए। जंतर मंतर पर तैनात हेड कांस्टेबल जितेंद्र भड़ाना ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है।

प्रशासन ने प्रदर्शन के लिए निर्धारित किया समय
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए दिशा निर्देश तय किए। यहां सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रदर्शन का समय निर्धारित किया गया। इसमें किसी भी प्रकार का प्रदर्शन करने के लिए तीन घंटे का समय दिया जाता है, जो दिन में दो शिफ्टों में चलाया जाता है। सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक है। इसके साथ ही एक दिन में एक हजार लोग ही प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।

प्रदर्शन करने से पहले कार्यालय में आवेदन करना होता है। इसके बाद सभी दस्तावेजों की जांच के बाद अनुमति दी जाती है। – देवेश महला, डीसीपी, नई दिल्ली

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