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Operation Sindoor: भारत का दुनिया को संदेश, राजनाथ बोले- शेर मेंढक मारे तो अच्छा संदेश नहीं; 10 बड़ी बातें

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज लोकसभा में भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की चर्चा की शुरुआत की। पाकिस्तान के दुस्साहस को भारत के मुंहतोड़ जवाब का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने पूरी दुनिया को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने संसद के मंच से एक बार फिर साफ किया कि पाकिस्तान और भारत के बीच 10 मई को थमी गोलाबारी के पीछे कोई तीसरा पक्ष नहीं था, देशों के DGMO की बातचीत के बाद संघर्ष रुका।

लोकसभा में आज जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना की कार्रवाई- ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत हुई। सरकार की तरफ से पहले वक्ता के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सेना ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में पूरी सफलता पाई है। उन्होंने ये भी साफ किया कि भारतीय सेना को किसी भी तरह की सैन्य क्षति नहीं हुई है। राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सभी सवालों के जवाब दिए और कहा कि संसद को एक सुर में देश की सेना के पराक्रम को सलाम करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में देश की नीति को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने लाहौर जाकर नवाज शरीफ से मुलाक़ात की, तो भारत ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। हम वाकई शांति की राह पर चलना चाहते थे क्योंकि हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, न की युद्ध की।’

ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऐसे थमी गोलाबारी
भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद विगत 10 मई को थमी गोलाबारी के पीछे की वजह साफ करते हुए संसद के पटल पर रक्षा मंत्री राजनाथ ने साफ किया, पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशक (DGMO) ने भारत के DGMO से संपर्क किया और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘मैं सदन में यह बात फिर से दुहराना चाहूंगा कि पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से संपर्क किया और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की अपील की। 12 मई को दोनों देशों के DGMO के बीच औपचारिक संवाद हुआ और दोनों पक्षों ने सैन्य कार्रवाइयों पर विराम लगाने का निर्णय लिया।

शेर कभी मेंढक पर हमला नहीं करता
राजनाथ सिंह ने पड़ोसी देश के साथ-साथ पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया और कहा, ‘लड़ाई हमेशा बराबरी वालों से की जाती है, शेर कभी मेंढक पर हमला नहीं करता, पाकिस्तान से मुकाबला कर भारत लेवल खराब नहीं करेगा।’ उन्होंने कहा, आतंकवाद को समर्थन देने वालों को यह स्पष्ट संदेश चला गया है कि भारत अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है।

सामाजिक और राजनीतिक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत
उन्होंने विपक्षी दलों से आह्वान किया, ‘आइए हम सभी दलगत भेदभाव से ऊपर उठकर, ‘संगच्छध्वं संवदध्वं’ के मंत्र से प्रेरणा लेकर एक साथ खड़े हों। हम इस राष्ट्रीय संकल्प को मजबूत करें, यही हम सबका राष्ट्रीय दायित्व है। रक्षा मंत्री ने कहा, यह समय एकजुट होकर अपनी सुरक्षा, संप्रभुता और आत्मसम्मान की रक्षा के संकल्प को और अधिक मजबूत करने का है। हमें यह याद रखना होगा कि हमारी सामाजिक और राजनीतिक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

आतंकियों के घर में घुस कर मारेंगे
साल 2017 में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में पहली बार आतंकवाद से लश्कर और जैश जैसे आतंकवादी संगठनों को जोड़ा गया… हमने दुनिया को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ हम सरहद के इस पार भी मारेंगे और जरूरत पड़ी तो आतंकियों के घर में घुस कर मारेंगे। यह बदलाव प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आया है

आतंकवाद पर भारत का स्टैंड
अभी कुछ सप्ताह पहले मुझे SCO की डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग में चीन जाना पड़ा था… वहां आतंकवाद पर भारत का स्टैंड कमजोर हो रहा था। हमने साफ कह दिया कि जब तक आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का स्टैंड नहीं रखा जाएगा हम किसी संयुक्त बयान पर साइन नहीं करेंगे।

BRICS सम्मेलन के इतिहास में पहली बार आतंकी घटना की खुल कर निंदा
जब हमारे प्रधानमंत्री ब्रिक्स की बैठक में ब्राजील गए तो चीन की मौजूदगी में जो ज्वाइंट डेक्लरेशन आया उसमें जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई, यानि अंततः भारत की बात मानी गई। ब्रिक्स सम्मेलन के इतिहास में पहली बार जम्मू-कश्मीर में हुई किसी आतंकी घटना की खुल कर निंदा की गई।

प्रणब मुखर्जी की किताब का भी उल्लेख किया
2008 के मुंबई आतंकी हमले का जिक्र कर रक्षा मंत्री ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार के दौरान विदेश मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी की किताब का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक द कोएलिशन ईयर्स में लिखा है कि जब मुंबई पर हमला हुआ, तो भारत के पास सबूत थे कि आतंकवादी कराची बंदरगाह से आए थे। पाकिस्तान ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’ का बहाना बना रहा था, जिसे पूरी दुनिया में उसके सहयोगी भी मानने को तैयार नहीं थे।’ किताब के अंश को उद्धृत कर राजनाथ सिंह ने कहा, प्रणब मुखर्जी ने लिखा है, ‘कैबिनेट के भीतर गरमागरम बहस के बीच, सैन्य हस्तक्षेप की मांग की गई थी जिसे मैंने खारिज कर दिया।’

मुंबई हमले के तुरंत बाद एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी, लेकिन…
रक्षा मंत्री ने कहा, भारतीय विदेश सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी अपनी किताब में इस बात की पुष्टि की है कि मुंबई हमले के तुरंत बाद एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब दा ने पूछा था कि क्या किया जाना चाहिए। इस पर विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने सुझाव दिया कि भारत मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय पर क्रूज मिसाइल से हमला कर सकता है। यह सुनकर प्रणब दा ने अपना चश्मा उतारकर साफ किया और सभी अधिकारियों को धन्यवाद देकर बैठक समाप्त कर दी।

निर्णायक और कठोर कदम उठाए होते तो पाकिस्तान…
लोकसभा में चर्चा के दौरान आलोचना से इनकार करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘उस समय की सरकार ने जो सही समझा वो किया। पर मैं मानता हूं कि अगर तब की सरकार ने भी 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019  की एयर स्ट्राइक जैसे निर्णायक और कठोर कदम उठाए होते तो पाकिस्तानी रणनीति और उनकी गणित (strategic calculus) बदल सकती थी। एक सशक्त और निर्णायक एक्शन, पाकिस्तान और उसकी सेना से समर्थित आतंकी संगठनों को हतोत्साहित करने वाला बड़ा झटका (disincentive) साबित हो सकता था।

पहलगाम… ऑपरेशन सिंदूर और भारत का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में इसी साल 22 अप्रैल को हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने 6-7 मई की दरम्यानी रात ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। पाकिस्तानी सीमा के भीतर दहशतगर्दों के पनाहगाह को नेस्तनाबूद करने के बाद भारत के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने 33 देशों की राजधानियों का दौरा कर पाकिस्तान और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों को बेनकाब किया। शिष्टमंडलों ने अल्जीरिया, डेनमार्क, ब्रिटेन, इथियोपिया, फ्रांस, इटली जैसे देशों में भारत का पक्ष मजबूती से रखा। ग्रीस, बहरीन, कतर, रूस, जापान और यूएई जैसे देशों में भी दहशतगर्दों के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति बताई गई। वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की कूटनीतिक मुहिम के तहत अलग-अलग दलों में शामिल 51 सांसदों के अलावा कई राजनयिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजनयिकों ने पाकिस्तानी दुष्प्रचार को धराशायी किया। अब संसद के मानसून सत्र में पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत चर्चा हुई

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