नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी की ओर से दलीलें पूरी कर ली गई हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि यंग इंडियन 2000 करोड़ रुपये की आपराधिक आय प्राप्त करने का एक साधन था। यह मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक मामला है। ईडी ने कहा कि शेयर होल्डिंग सिर्फ नाम के लिए है और अन्य आरोपी गांधी परिवार की कठपुतली हैं।
कोर्ट को ईडी ने बताया कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी एआईसीसी को नियंत्रित करते हैं। उनका उद्देश्य 92 करोड़ प्राप्त करना नहीं था, बल्कि उनका उद्देश्य 2000 करोड़ प्राप्त करना था। वह कांग्रेस, एजेएल और यंग इंडियन को नियंत्रित करते हैं।
बता दें कि एजेएल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करता था। राजू ने कहा कि यंग इंडियन बनाने की साजिश रची गई थी, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76% शेयर थे, ताकि कांग्रेस से लिए गए 90 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पी जा सके।
एसजी एस वी राजू ने कहा कि यंग इंडियन ने घोषणा की थी कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी लाभकारी मालिक थे। एएसजी ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा यंग इंडियन में प्रमुख प्रबंधकीय कर्मी थे। एएसजी एसवी राजू ने दलील दी कि 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाली कंपनी एजेएल को 90 करोड़ रुपये के लोन के लिए अधिग्रहित किया गया।
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