भारत ने डिजिटल पेमेंट की दुनिया में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 की पहली छमाही में यूपीआई ट्रांजैक्शनों में 35 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस अवधि में कुल 106.36 अरब ट्रांजैक्शन किए गए, जिनकी कुल वैल्यू 143.34 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई। उपलब्ध आंकड़े दर्शाता है कि अब यूपीआई केवल एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि भारत के आम नागरिकों की रोजमर्रा की जरूरत बन चुका है।
वर्ल्डलाइन इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पर्सन-टू-मर्चेंट यानी दुकानदार या व्यापारी को किए जाने वाले यूपीआई लेनदेन में 37 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो बढ़कर 67.01 अरब तक पहुंच गए हैं। रिपोर्ट में इस तेजी को ‘किराना इफेक्ट’ नाम दिया गया है। दरअसल, अब देशभर के छोटे दुकानदार, स्ट्रीट वेंडर्स और माइक्रो बिजनेस तेजी से डिजिटल पेमेंट अपना रहे हैं। यही बदलाव भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव साबित हो रहा है।जो लोग पहले केवल नकद लेनदेन पर निर्भर थे, वे अब यूपीआई के जरिए पेमेंट स्वीकार करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इससे न सिर्फ व्यापार में पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि छोटे कारोबारियों की डिजिटल पहचान और वित्तीय पहुंच भी मजबूत हुई है।
सिर्फ यूपीआई ही नहीं, बल्कि क्यूआर-आधारित पेमेंट सिस्टम ने भी इस साल शानदार प्रदर्शन किया है। वर्ल्डलाइन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 तक देश में क्यूआर ट्रांजैक्शन की संख्या दोगुनी बढ़कर 67.8 करोड़ तक पहुंच गई है, जो जनवरी 2024 की तुलना में 111 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती है।
इसी तरह, पॉइंट-ऑफ-सेल टर्मिनलों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है -29 प्रतिशत बढ़कर अब यह 1.12 करोड़ तक पहुंच चुकी है। यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि व्यापारी वर्ग अब तेजी से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को अपना रहा है। छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े रिटेल नेटवर्क तक, सभी अब डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। इससे न केवल ग्राहकों के लिए भुगतान आसान हुआ है, बल्कि कारोबारियों के लिए भी लेनदेन का रिकॉर्ड और वित्तीय पारदर्शिता बढ़ी है।

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