छठ महापर्व की खास बात यह है कि इसे निभाने में न कोई भेदभाव होता है और न कोई सामाजिक बंधन। आस्था और विश्वास का यही रंग अब किन्नर समाज में भी गहराई से देखने को मिल रहा है। राजधानी के बदरपुर इलाके में रहने वाली किन्नर समाज की सदस्य सनम पिछले सात से आठ साल से छठ व्रत कर रही हैं।
अब सनम अपने परिवार के साथ नहीं रहती इसलिए वह छठ महापर्व पर किन्नर समाज की अन्य सदस्य और उनकी गुरु मां को व्रत में शामिल शामिल करती हैं। सभी मिलकर टेकुआ, ठेकुआ और खाजा जैसे पारंपरिक प्रसाद तैयार करती हैं। मिलकर छठ घाट की सफाई, सजावट और पूजा की सभी तैयारियों में सहयोग देती हैं।
वे कहती हैं कि यह पर्व उन्हें एकता, सहयोग और समानता का संदेश देता है। सनम का कहना है कि छठ सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि यह एक भावना है, जो हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति दिल से की जाए तो भगवान हर रूप में कृपा करते हैं।

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