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Delhi: साल में होते हैं 63 लाख चालान, निपटाए जाते हैं सिर्फ 22 लाख; अब हर महीने लगेंगी राजधानी में लोक अदालतें

अब दिल्ली की अदालतों में हर महीने लोक अदालतें लगेंगी। इससे लोगों की परेशानियां कम होंगी।

राष्ट्रीय राजधानी में हर साल करीब 63 लाख चालान (चालान व नोटिस दोनों चालान) होते हैं और दिल्ली की विभिन्न लोक अदालतों में साल में सिर्फ 22 लाख चालान निपटाए जाते हैं। ये सुनने में अटपटा लग रहा होगा, मगर ये हकीकत है। इससे दिल्ली की सभी कोर्ट में चालानों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। कुल 3.5 करोड़ रुपये दिल्ली की विभिन्न कोर्ट में पड़े हुए हैं। ऐसे में अब दिल्ली की अदालतों में हर महीने लोक अदालतें लगेंगी। इससे लोगों की परेशानियां कम होंगी।

चालानों के लिए बनी दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की कमेटी ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॅारिटी (डीएसएलएसए) को आदेश दिया था कि हर महीने लोक अदालतें आयोजित की जाएं, ताकि चालानों को तरीके से निपटारा हो सके। इस मामले को लेकर डीएसएलएसए की एक बैठक 28 अक्तूबर को हुई थी। इस बैठक के बाद अब 8 नवंबर को दिल्ली की सभी कोर्ट में लोक अदालतें लगाना तय किया गया है। दिल्ली ट्रैफिक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली की सभी कोर्ट में 180 लोक अदालतें लगी हैं। इनमें करीब 1 लाख 80 हजार से 2 लाख चालान निपटाए जाते हैं।

पहले एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट निपटाते थे : पहले दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट चालानों को निपटाते थे। इससे चालानों को निपटारा तो जल्दी होता था। मगर इन एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की भ्रष्टाचार आदि को लेकर शिकायत होने लगीं। इसके बाद वर्ष 2010 में इस सिस्टम को बंद कर दिया गया था। सूत्रों ने बताया कि परिवहन मंत्रालय इस सिस्टम को लाने पर विचार कर रहा है।

सबसे पहले तो चालान सही होना चाहिए। दूसरा सिस्टम बैंक खाते से जुड़ा होना चाहिए। चालान की राशि खुद की बैंक खाते से कट जाए। अगर उसके खिलाफ वाहन चालक कोर्ट जाए तो उसको उसकी अनुमति होनी चाहिए। सिंगापुर में जाम को रोकने के लिए रोड प्राइसिंग टैक्स लिया जाता है। चालान भरने के लिए फास्ट ट्रैक सिस्टम भी होना चाहिए।

-कमर अहमद सेवानिवृत्त, आईपीएस अधिकारी

ट्रैफिक नियमों के उल्लंघनों में पकड़ी जा रहीं बसें 
राजधानी की सड़कों पर सार्वजनिक बसें यातायात के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि बस चालकों द्वारा किए गए ट्रैफिक नियम उल्लंघन दो साल में तीन गुना बढ़ गए हैं।    डीटीसी और क्लस्टर बसों से लेकर प्राइवेट कंपनियों की बसें लगातार ओवरस्पीडिंग, गलत पार्किंग, बिना इंडिकेटर लेन बदलने और स्टॉप लाइन पार करने जैसे उल्लंघनों में पकड़ी जा रही हैं।

2023 में 8,059 ऑन-द-स्पॉट चालान दर्ज हुए थे, जबकि जुलाई 2025 तक यह संख्या 24,462 तक पहुंच चुकी है। यानी, हर दिन औसतन सौ से ज्यादा बसें ट्रैफिक नियम तोड़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा न केवल सड़क अनुशासन की पोल खोलता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बस चालकों पर निगरानी और ट्रेनिंग व्यवस्था कितनी कमजोर है।

परिवहन विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सभी बस चालकों के लिए मासिक ड्राइविंग मूल्यांकन और मनोवैज्ञानिक फिटनेस टेस्ट अनिवार्य किए जाएं। साथ ही बसों में ऑटोमैटिक स्पीड लिमिट और जीपीएस मॉनिटरिंग सिस्टम को अनिवार्य किया जाए।

ओवरस्पीडिंग के अधिक मामले : कैमरा या एप-आधारित चालानों में ओवरस्पीडिंग के सबसे ज्यादा मामले हैं। 2023 में 7,771 से बढ़कर 2024 में 8,278 हो गए, फिर 50 फीसदी से बढ़कर 2025 में 11,676 हो गए। वहीं गलत पार्किंग के लिए 10,549 चालान किए गए, जबकि रेड लाइट जंपिंग और स्टॉप लाइन उल्लंघन में कमी आई है।

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