दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारका और उसके अधिकारियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत लगाए गए आरोप खारिज कर दिए। अदालत ने कहा कि बाल यौन अपराध की रिपोर्टिंग के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है और स्कूल की ओर से की गई आंतरिक जांच के कारण हुई थोड़ी देर को अपराध नहीं माना जा सकता है। यह फैसला जस्टिस अमित महाजन ने 10 अक्टूबर को सुनाया, जिसमें निचली अदालत के 15 मार्च 2023 के आदेश को रद्द कर दिया गया।
मामला अप्रैल 2022 का है, जब डीपीएस द्वारका में आईडी कार्ड के लिए फोटो खिंचवाने के दौरान एक फोटोग्राफर के सहायक पर एक नाबालिग छात्रा से अनुचित व्यवहार का आरोप लगा। छात्रा ने तुरंत अपनी शिक्षिका को घटना के बारे में बताया, जिसके बाद स्कूल काउंसलर और वाइस-प्रिंसिपल से बात हुई। स्कूल अधिकारियों ने सुबह 11:40 बजे जानकारी मिलने के बाद आंतरिक जांच की और दोपहर 1:15 बजे छात्रा की मां को सूचित किया। मां ने दोपहर 2:58 बजे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत एफआईआर दर्ज हुई।
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