दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के नतीजों से संकेत मिला है कि राजधानी की राजनीति में कांग्रेस की वापसी की राह अभी लंबी है। एबीवीपी की प्रचंड जीत और एनएसयूआई की कमजोर मौजूदगी से कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली छात्र राजनीति उससे लगभग पूरी तरह छिन चुकी है। इस बार कांग्रेस का छात्र संगठन केवल उपाध्यक्ष पर पर ही जीत सका, जबकि गत वर्ष वह अध्यक्ष व संयुक्त सचिव पद जीतने में सफल हो गया था।
‘आरएसएस-भाजपा के खिलाफ बहादुरी से लड़े’
नई दिल्ली। एनएसयूआई ने कहा कि आरएसएस-भाजपा और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। डूसू चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर राहुल झांसला ने जीत हासिल की है। यह जीत एक कठिन संघर्ष के बाद मिली है। एनएसयूआई ने केवल एबीवीपी का ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, आरएसएस-भाजपा और दिल्ली पुलिस जैसी संयुक्त ताकतों का भी डटकर मुकाबला किया। एनएसयूआई के अनुसार भारी पैमाने पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के बावजूद हजारों छात्रों ने एनएसयूआई और उसके उम्मीदवारों का मजबूती से साथ दिया। एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि हमें अपने उम्मीदवारों पर गर्व है जिन्होंने यह चुनाव साहस और ईमानदारी के साथ लड़ा। आरएसएस-भाजपा समर्थित एबीवीपी ने चुनाव अधिकारियों की मदद से ईवीएम में गड़बड़ी और प्रोफेसरों को शामिल कर चुनाव चोरी करने की शर्मनाक कोशिश की।
अदालत ने विजय जुलूस पर लगा दी थी रोक
अदालत ने अपने 17 सितंबर के आदेश में दिल्ली विश्वविद्यालय के उम्मीदवारों और छात्र संगठनों को डूसू चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद राष्ट्रीय राजधानी में कहीं भी विजय जुलूस निकालने पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता, अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने पीठ के सामने कई तस्वीरें और समाचार रिपोर्ट साझा कीं और न्यायिक आदेश और लिंगदोह समिति की सिफारिशों के उल्लंघन का दावा किया।
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