इसलिए हवा हो रही है खराब
कूड़े के पहाड़: गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में लैंडफिल साइट हैं। इन तीनों साइट पर लाखों टन कूड़ा पड़ा है। यहां से उड़ने वाली धूल वायुमंडल में तैरती रहती है। कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने का प्रयास कई साल से चल रहा है। -निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल: पूरे साल दिल्ली में निर्माण कार्य चलते रहे हैं। कुछ अधिकृत होते हैं लेकिन उससे ज्यादा अनाधिकृत निर्माण कार्य होते हैं। इनमें धूल प्रबंधन के नियम ध्वस्त नजर आते हैं। जब वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तो ग्रेप के नियम लागू होते हैं जब धूल प्रबंधन की याद भी आती है।
गाड़ियों से निकलता धुआं : एक आंकलन के मुताबिक दिल्ली में प्रतिदिन एक करोड़ दोपहिया से लेकर भारी वाहन सड़कों पर उतरते हैं। इनसे निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है। धुएं से ज्यादा इनके टायरों से निकलने वाला मिनी पार्टिकल हवा को प्रदूषित करता है जो स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदेह होता है।
सड़कों और फुटपाथ पर धूल: सड़कों पर उड़ती धूल भी वायु प्रदूषण में अहम रोल अदा कर रही है। कुछ सड़कों पर मशीन से सफाई होती भी है तो फुटपाथ पर धूल जमी रहती है। फुटपाथ पर मशीनें नहीं चल पाती हैं। अनाधिकृत कालोनियों में कई सड़कों के साथ कच्चे फुटपाथ हैं, जहां से धूल उड़ती रहती है। इन पर रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था मजबूत नहीं हो पा रही है।
निर्माण व विध्वंस का मलबा : निर्माण कार्य व विध्वंस (सीएंडडी) से निकलने वाला मलबा सड़कों के किनारे पड़ा रहता है। दिल्ली में सीएंडडी वेस्ट से दूसरे उत्पाद तैयार करने के लिए चार प्लांट हैं। जब ये पूरी क्षमता से काम करें तो भी पांच हजार टन मलबा प्रतिदिन खपाया जा सकता है। लेकिन प्रतिदिन छह हजार टन मलबा निकलता है।
खुले में जलता कूड़ा : राजधानी में जगह-जगह खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है। इस पर पूरे साल रोक होती है। लेकिन निगम इस पर पूरी तरह से नियंत्रण करने में नाकाम है। ग्रेप के दूसरे चरण के बाद भी लोग चेते नहीं हैं और जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है।
औद्योगिक उत्सर्जन : औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषक वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली और इसके आसपास कई उद्योग हैं जो वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।
हवा की स्थिति प्रदूषक तत्व के फैलाव के लिए ठीक नहीं
सीपीसीबी के आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस साल अभी तक ‘गंभीर’ हवा वाला कोई दिन रिकॉर्ड नहीं किया गया है, लेकिन इस हफ्ते ऐसा होने की आशंका है। पिछली बार ऐसी रीडिंग 23 दिसंबर, 2024 को ली गई थी, जब एक्यूआई 406 रिकॉर्ड किया गया था।
दिल्ली के लिए एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूईडब्ल्यूएस) के अनुसार, रविवार शाम और रात के समय उत्तर-पश्चिम से हवा की स्पीड आठ किमी प्रति घंटे से कम हो गई, जिससे हवा में प्रदूषक तत्व का फैलाव कम हो गया है। इससे कई लोगों को खासकर फेफड़ों या दिल की बीमारियों वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, हवा की स्थिति प्रदूषक तत्व के फैलाव के लिए ठीक नहीं थी, जिससे धीरे-धीरे जमाव हो रहा था।
No Comments: