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JNU Result: बिहार के किसान का बेटा बना अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पिता मजदूर…सचिव ओबीसी; जानें इनके बारे में

जेएनयू छात्र संघ चुनाव में सचिव के पद पर जीती मुंतेहा फातिमा ने जीत का परचम लहराया है। पिछला चुनाव आइसा, डीएसएफ, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने मिलकर लड़ा था।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में जीत का परचम लहराने वाले उम्मीदवार बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। किसी के पिता किसान हैं तो कोई अनुसूचित जाति से है। छात्र संघ चुनाव में जीतने वाले सभी उम्मीदवार जेएनयू में पहले से छात्रों की आवाज उठाते रहे हैं। जेएनयू छात्र संघ में आइसा व डीएसएफ के गठबंधन ने शीर्ष तीन पदों पर आैर एबीवीपी को एक पद मिला।

16 दिनों की भूख हड़ताल से बनाई पहचान
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीतने वाले नीतीश कुमार बिहार के अररिया जिला स्थित शेखपुरा से हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले नीतीश के पिता किसान और मां गृहिणी है। बीएचयू से राजनीतिक विज्ञान में बीए की है। वर्ष 2020 में जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज में एमए में दाखिला लिया। कोरोना काल में जेएनयू को वर्ष 2021 में खोलने की मांग को लेकर आंदोलन किया। नीतीश ने आइसा की जेएनयू इकाई के सचिव के तौर पर भी काम किया है। वर्ष 2021 में अपने बैच के लिए उन्हें छात्र एसएफसी प्रतिनिधि के रूप में चुना गया। जबकि 2023-24 में जेएनयू छात्र संघ चुनाव में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज से काउंसलर के रूप में चुने गए। वर्ष 2023 के अगस्त में छात्रावास सहित कई दूसरे मुद्दों को लेकर 16 दिनों की भूख हड़ताल भी की।
मजदूर वर्ग से ताल्लुक रखती हैं मनीषा
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर जीतने वाली मनीषा हरियाणा के मजदूर वर्ग से ताल्लुक रखती हैं। वह अनुसूचित जाति से आती है। उनके पिता एक फैक्टरी में काम करते थे। जेएनयू के सेंटर फॉर ईस्ट एशियन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लिया। हालांकि उसके लिए भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। कैंपस में आने के बाद से मनीषा ने अपने व्यक्तिगत संघर्षों को सामूहिक प्रतिरोध में बदल दिया। वर्ष 2019 में एसआईएस काउंसलर के रूप में निर्वाचित हुई। फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन किया।

ओबीसी वर्ग से आती है मुंतेहा
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में सचिव के पद पर जीती मुंतेहा फातिमा बिहार के पटना की रहने वाली है और ओबीसी मुस्लिम परिवार से आती हैं। वर्तमान में वह जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के सेंटर फॉर वेस्ट एशियन स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं। वर्ष 2023-24 में गंगा हॉस्टल की अध्यक्ष चुनी गई थीं।

जनजातीय परिवार से आते हैं वैभव
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में संयुक्त सचिव के पद पर जीते वैभव मीणा राजस्थान के करौली से हैं। वह जनजातीय किसान परिवार से आते हैं। वैभव ने स्नातक की शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से ली है। जबकि स्नातकोत्तर काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में किया है। वर्तमान में वैभव जेएनयू के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के भारतीय भाषा केंद्र में हिंदी साहित्य विषय के शोधार्थी हैं। हिंदी साहित्य में उन्हें जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिली हुई है।

जेएनयू संघ छात्रों के हित के लिए काम करेगा : अध्यक्ष
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के निर्वाचित अध्यक्ष नीतीश कुमार ने प्रेसवार्ता को संबाेधित करते हुए कहा कि संघ छात्रों के हित के लिए काम करेगा। जेएनयू की प्रवेश परीक्षा को बहाल कराया जाएगा। ढाबों की ओर जाने वाले रास्तों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाएंगे। जेएनयू की फंड कटौती के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। घोषणा पत्र की सभी मांगों को पूरा किया जाएगा। जेएनयू छात्र संघ की नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष मनीषा और सचिव मुंतेहा फातिमा ने कहा कि यह जीत छात्राओं की जीत है। छात्रों ने प्रगतिशील राजनीति को चुना। जेएनयू के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। जेएनयू प्रवेश परीक्षा को फिर से बहाल करने की मांग करेंगे। उधर, एबीवीपी से नवनिर्वाचित संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने कहा कि हर कदम, हर निर्णय और हर पहल छात्र समुदाय के कल्याण के लिए समर्पित है। एक ऐसे परिसर का निर्माण करेंगे जहां हर विद्यार्थी को समान अवसर व सम्मान के साथ आगे बढ़ने का वातावरण मिलेगा।

वामदल गठबंधन की फूट को नहीं भुना सकी एबीवीपी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव का परिणाम जारी हो चुका है। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) व डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) के संयुक्त उम्मीदवार और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली।
बता दें कि पिछला चुनाव आइसा, डीएसएफ, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने मिलकर लड़ा था। लेकिन इस बार बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा), एआईएसएफ, एसएफआई और प्रोगेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन (पीएसए) ने अलग गठबंधन बनाया था। इस नए गठबंधन के बनने से एबीवीपी के उम्मीदवारों के जीतने के कयास लगाए जा रहे थे। मगर, उसके बाद एबीवीपी को शीर्ष पदों पर हार का सामना करना पड़ा। वहीं, एआईएससएफ, एसएफआई, बापसा और पीएसए के उम्मीदवारों को चारों सीट गंवानी पड़ी।

आइसा-डीएसएफ के संयुक्त उम्मीदवार नीतीश कुमार पीएचडी को 1702 वोट और एबीवीपी की शिखा स्वराज को 1430 वोट मिले। नीतीश ने 272 वोट के अंतर से चुनााव जीत लिया। छात्र संघ के उपाध्यक्ष पद पर आइसा-डीएसएफ की उम्मीदवार मनीषा ने बाजी मारी। मनीषा को 1150 वोट और एबीवीपी के निट्टू गौतम को 1116 वोट मिले। निट्टू को 34 वोट से हार का सामना करना पड़ा। सचिव पद पर आइसा-डीएसएफ की मुंतेहा फातिमा ने जीत दर्ज की। उन्होंने एबीवीपी के कुणाल राय को 114 वोट से हराया। मुंतेहा को 1520 वोट और कुणाल राय को 1406 वोट मिले। संयुक्त सचिव के पद पर एबीवीपी के वैभव मीणा ने जीत का परचम लहराया। वर्ष 2015 के बाद एबीवीपी को छात्र संघ चुनाव में कोई पद मिला था। वैभव ने आइसा-डीएसएफ के उम्मीदवार को 85 वोट से हराया।

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