नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ‘बागी’ नेता के नेतृत्व वाले समूह को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) घोषित करने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की याचिका पर राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार और उनके समर्थक विधायकों से सोमवार को जवाब-तलब किया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीपी की स्थापना करने वाले वरिष्ठ नेता शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह की याचिका पर उनके भतीजे अजित पवार समूह को नोटिस जारी करने का आदेश पारित किया।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 15 फरवरी को अपने आदेश में कहा था कि अजित पवार नेतृत्व वाली एनसीपी समूह असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है। नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा था कि प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली अयोग्यता याचिकाओं को खारिज किया जाता है।
विधानसभा ने कहा था कि 30 जून से 2 जुलाई, 2023 के बीच जो घटनाक्रम हुआ, वह स्पष्ट रूप से एनसीपी के भीतर असंतोष की प्रकृति का था और पार्टी के सदस्य दो नेताओं के बीच बंटे हुए थे। उन्होंने एक-दूसरे के समूह के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने शिवसेना के यूबीटी समूह द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ दायर इसी तरह की याचिका के साथ मामले की सुनवाई करने का फैसला किया।गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 6 फरवरी 2024 को अजित पवार के समूह को एनसीपी के रूप में मान्यता दी और इसे पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’ के इस्तेमाल की अनुमति दी थी।अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे।
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