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Delhi Blast Case: कार धमाका मामले में NIA की ताबड़तोड़ छापामारी, कश्मीर और यूपी में कई ठिकानों पर तलाशी

Delhi Blast NIA Raids: दिल्ली में हुए आतंकी हमले के मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी लगातार जांच कर रही है। इस जांच को आगे बढ़ाने के लिए एनआईए की टीम ने जम्मू-कश्मीर के काजीगुंड समेत आठ ठिकानों पर छापा मारा है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सोमवार को कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और कुलगाम जिलों में आठ स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई एक ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंक मॉड्यूल से जुड़े मामले में की गई, जिसके तार दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार विस्फोट से जुड़े हुए हैं।

उत्तर प्रदेश में भी एनआईए का छापा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट मामले में अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए जम्मू-कश्मीर ही नहीं उत्तर प्रदेश के कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों और लखनऊ में भी तलाशी अभियान जारी है। यह छापेमारी दिल्ली में 10 नवंबर को हुए उस भयावह कार ब्लास्ट के संबंध में की गई है।
मॉड्यूल के मास्टरमाइंड की तलाश में जांच एजेंसी
एनआईए की टीमों ने शोपियां में मौलवी इरफान अहमद वगाय के आवास पर तलाशी ली। वगाय को इस ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल के कट्टरता फैलाने और भर्ती करने वाले मास्टरमाइंड के रूप में उभरा है। उसे पिछले महीने एनआईए ने अपनी हिरासत में लिया था, जब उसने पिछले महीने की शुरुआत में हुए कार विस्फोट की जांच अपने हाथ में ली थी। इस विस्फोट में 15 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे।

पुलवामा और कुलगाम में भी हुई छापेमारी
इसके अतिरिक्त, एजेंसी ने पुलवामा जिले के कोइल, चंदगाम, मलंगपुरा और संबूरा क्षेत्रों में भी छापा मारा। अधिकारियों ने बताया कि ये स्थान दिल्ली कार विस्फोट मामले से जुड़े लोगों से संबंधित थे।

उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार डॉक्टर भी जांच के दायरे में
एनआईए ने नवंबर के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किए गए डॉ. अदील अहमद राथर के आवास की भी तलाशी ली। इन छापों का उद्देश्य इस ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल के नेटवर्क का पर्दाफाश करना और इसके संचालन के तरीके को समझना है।

‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर मॉड्यूल का खतरा
‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल का तात्पर्य ऐसे आतंकी समूहों से है जो पारंपरिक तरीकों के बजाय वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य सफेदपोश अपराधों के माध्यम से धन जुटाते हैं और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं। इस प्रकार के मॉड्यूल का पता लगाना और उन्हें निष्क्रिय करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है।

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