नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हाल ही में केंद्र से एक याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें देश में अनिश्चितकालीन हिरासत में रखे गए रोहिंग्या शरणार्थियों की रिहाई की मांग की गई है। कोर्ट ने 12 अगस्त को इस संबंध में आदेश जारी किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि “नोटिस जारी कर रहे हैं। इसका जवाब 27 अगस्त 2024 तक दिया जाना चाहिए।” मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये फैसला दिया। इसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने केंद्र और अन्य से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। जनहित याचिका में भारत में युवा महिलाओं और बच्चों सहित रोहिंग्या शरणार्थियों को अनिश्चित काल के लिए हिरासत में रखने को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि यह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
यह याचिका रीता मनचंदा ने दायर की है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता उज्जैनी चटर्जी, टी. मयूरा प्रियन, रचिता चावला और श्रेय रवि डंभारे कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह सरकारों को निर्देश दे कि वे रोहिंग्या बंदियों को रिहा करें, जिन्हें विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम (भारत में प्रवेश), 1929 के तहत दो वर्षों से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है।
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