इसका उपयोग अक्सर मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों में किया जाता है। बिना चीरा लगाए गामा किरणों के विकिरण को एक छोटे से क्षेत्र में केंद्रित किया जाता है। समय के साथ लक्षित कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, और घाव या ट्यूमर सिकुड़ जाता है।
नई दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) में पहली बार गामा नाइफ थेरेपी का इस्तेमाल कर 38 वर्षीय सेवारत अधिकारी के ऑक्यूलर कोराइडल मेलेनोमा यानी एक तरह के आंख के कैंसर का इलाज किया गया। रक्षा मंत्रालय की तरफ से एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह जानकारी शनिवार को साझा की गई।
मंत्रालय ने बताया कि विट्रियो-रेटिना सर्जन, न्यूरोसर्जन और रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट विशेषज्ञों की टीम की यह सफलता सैनिकों के लिए अत्याधुनिक तकनीक, नवाचार और विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा के प्रति सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। गामा नाइफ थेरेपी में गामा किरणों का इस्तेमाल इस तरह किया जाता है कि घाव या ट्यूमर के ऑपरेशन में चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।