OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में अपने लेख “द जेंटल सिगुलैरिटी” में यह खुलासा किया है कि 2026 तक ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित हो सकते हैं, जो नई और मौलिक सोच (Novel Insights) उत्पन्न कर सकेंगे। इस लेख में उन्होंने अगले 15 वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इंसानी जीवन पर प्रभाव को लेकर अपना नजरिया साझा किया है।
o3 और o4-mini मॉडल देगा नए आइडिया
Altman की यह भविष्यवाणी OpenAI के हालिया मॉडल o3 और o4-mini पर आधारित है, जिन्हें वैज्ञानिकों द्वारा उपयोगी और नए विचार उत्पन्न करने में सक्षम बताया गया है। ऑल्टमैन ने लिखा, “2025 में ऐसे एजेंट आ चुके हैं जो असली ‘कॉग्निटिव वर्क’ कर सकते हैं। कोडिंग अब पहले जैसी नहीं रहेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि 2026 में ऐसे सिस्टम आ सकते हैं जो पूरी तरह नए दृष्टिकोण देंगे और 2027 में ऐसे रोबोट भी संभव हैं जो असल दुनिया के काम करेंगे।
गूगल भी दौड़ में शामिल
OpenAI अकेली कंपनी नहीं है जो इस दिशा में काम कर रही है। Google समेत कई बड़ी टेक कंपनियां ऐसे AI मॉडल विकसित कर रही हैं जो वैज्ञानिकों को नई थ्योरी और खोज करने में मदद करेंगी। गूगल ने हाल ही में AlphaEvolve नामक एक AI कोडिंग एजेंट पर रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है, जो कठिन गणितीय समस्याओं के लिए नए समाधान सुझाने में सक्षम है।
अभी नहीं तैयार AI?
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ एआई की मौलिक सोच की क्षमता को लेकर अभी भी संशय में हैं। हगिंग फेस के चीफ साइंस ऑफिसर थॉमस वुल्फ का कहना है कि मौजूदा AI सिस्टम आज भी महत्वपूर्ण सवाल पूछने में सक्षम नहीं हैं, जो वैज्ञानिक खोजों के लिए जरूरी होता है। OpenAI के पूर्व रिसर्च प्रमुख केनेथ स्टेनली ने भी कहा था कि आज के एआई मॉडल नए हाइपोथेसिस तैयार करने में असमर्थ हैं।
क्या है ऑल्टमैन का विजन 2030
ऑल्टमैन का मानना है कि 2030 तक एक व्यक्ति उतना काम कर सकेगा, जितना 2020 में कई लोग मिलकर भी नहीं कर पाते थे। उन्होंने लिखा, “2030 के दशक में आइडिया और उन्हें हकीकत में बदलने की ताकत अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध होगी।”
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