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काम का AI: एक सेल्फी से खुलेगा सेहत का राज, यह एआई टूल चुटकियों में करेगा काम

FaceAge एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम पर आधारित है, जो किसी व्यक्ति की फोटो देखकर उसकी बायोलॉजिकल उम्र यानी असल शारीरिक अवस्था का अनुमान लगाता है, न कि उसकी जन्मतिथि के हिसाब से उम्र (क्रोनोलॉजिकल ऐज)। इसका उद्देश्य डॉक्टरों को यह समझने में मदद करना है कि मरीज कितना स्वस्थ है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल आज हर क्षेत्र में हो रहा है। कोई भी इससे अछूता नहीं है। मेडिकल के क्षेत्र में भी एआई कमाल कर रहा है। अब एक नया AI टूल सामने आया है जिसका नाम FaceAge है। यह टूल केवल एक सेल्फी के आधार पर आपकी बायोलॉजिकल उम्र (जैविक उम्र) बताने का दावा करता है, जिससे डॉक्टर आपकी सेहत की बेहतर जानकारी पा सकते हैं। इसे अमेरिका के Mass General Brigham के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है और इसका शोधपत्र 8 मई 2025 को Lancet डिजिटल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है।

FaceAge क्या करता है?

FaceAge एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम पर आधारित है, जो किसी व्यक्ति की फोटो देखकर उसकी बायोलॉजिकल उम्र यानी असल शारीरिक अवस्था का अनुमान लगाता है, न कि उसकी जन्मतिथि के हिसाब से उम्र (क्रोनोलॉजिकल ऐज)। इसका उद्देश्य डॉक्टरों को यह समझने में मदद करना है कि मरीज कितना स्वस्थ है और किस प्रकार का इलाज उसे दिया जा सकता है।

FaceAge की खासियतें

  • “Eyeball Test” पर आधारित: डॉक्टर आमतौर पर मरीज को देखकर उसकी सेहत का त्वरित अनुमान लगाते हैं। FaceAge इसी विचारधारा पर आधारित AI है।
उदाहरण: एक 86 वर्षीय फेफड़ों के कैंसर मरीज को डॉक्टर ने देखने मात्र से उम्र से कमज़ोर नहीं माना और आक्रामक रेडिएशन ट्रीटमेंट दिया। आज वह मरीज 90 का है और स्वस्थ है। FaceAge ने उसकी जैविक उम्र 76 वर्ष आंकी थी। इस AI को 9,000 से अधिक तस्वीरों पर प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें 60 साल से ऊपर के स्वस्थ लोगों की फोटोज शामिल हैं। फोटो सोर्स के तौर पर Wikipedia, IMDb और UTKFace डेटासेट (1 से 116 साल तक के लोगों की तस्वीरें) का इस्तेमाल किया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, AI इंसानों की तरह उम्र का अनुमान नहीं लगाता जैसे कि बालों का झड़ना या सफेद होना इसमें अहम नहीं है।

कितनी सटीक है यह तकनीक?

FaceAge को 6,200 कैंसर मरीजों की तस्वीरों पर टेस्ट किया गया, जो इलाज से पहले ली गई थीं। AI ने पाया कि इन मरीजों की बायोलॉजिकल उम्र औसतन 5 साल ज्यादा थी। एक टेस्ट में जब डॉक्टरों ने केवल फोटो देखकर अनुमान लगाया कि मरीज 6 महीने में जीवित रहेगा या नहीं, तो वे 61% मामलों में सही निकले। जब फोटो के साथ मेडिकल डेटा लिया गया, तो सटीकता 73% हुई।

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