नई दिल्ली,मेट्रो मीडिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के अदिति महाविद्यालय में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी विभाग एवं राष्ट्रीय कवि संगम ने भव्य काव्यगोष्ठी का आयोजन किया।
इस काव्यगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी प्रशान्त सागर ने महाविद्यालय के पुस्तकालय सभागार में उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि “हिन्दी भाषा ही नहीं अपितु हमारी आत्मा की वाणी है जिसका संरक्षण हमारा मौलिक दायित्व है।”
इस अवसर पर महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्य प्रोफेसर नीलम राठी ने कहा कि हिन्दी दिवस का आयोजन हमारे लिए एक उत्सव के साथ हमारी संस्कृति साहित्य के पुनः स्मरण का अद्भुत अवसर है ।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रान्त के उत्तरी विभाग के प्रचारक अनिल परिहार ने कहा कि हिन्दी भाषा राष्ट्र की जड़ों का जुड़ाव का प्रतीक है इसका अनुपालन और प्रचार प्रसार राष्ट्र निर्माण का पावन कार्य है।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में महर्षि वाल्मीकि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर रामजी दुबे और राष्ट्रीय कवि संगम के महासचिव पी.के .आजाद प्रख्यात कवि तथा संचालक दास आरोही आनंद रहे। राष्ट्रीय कवि संगम के युवा कवियों दास आरोही आनंद,आलोक रंजन और रागिनी,रोशन रिशु,विनीत मिश्रा आयुष ,हर्ष पांडे ने अपने बेहतरीन काव्य पाठ से सभागार को सुशोभित किया।
हिन्दी विभाग की प्रभारी और कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर माला मिश्र के द्वारा रचित व निर्देशित लघु नाटिका ” हिन्दी हैं हम ” का मंचन बहुत ही रोमांचपूर्ण, बेहतरीन और हृदयस्पर्शी था जिसने समस्त श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस नाट्य प्रस्तुति में महाविद्यालय की हिन्दी और हिन्दी पत्रकारिता विभाग की छात्राओं विशेषकर श्रुति सिंह तथा प्रिया के रचनात्मक प्रयासों ने हिंदी की आत्मा को प्रत्येक दर्शक के मन में जीवंत कर दिया।
प्रोफेसर माला मिश्र ने सभागार के दर्शकबृंद को उद्बोधित करते हुए कहा कि हिंदी भारत की आत्मा है ,भारतीय संस्कृति की परिधान है। भारतीयों का सम्मान है।
हिंदी के अभाव में भारत की विविधता की अभिव्यंजना नहीं हो सकती। महात्मा गांधी के अनुसार मातृ भाषा के अभाव में कोई देश गूंगा होता है।हिंदी राजभाषा ही नहीं राष्ट्र की जन स्वीकृत जन जन की राष्ट्र भाषा है।
काव्य गोष्ठी में हिन्दी भाषा की मूल भावना को महाविद्यालय की छात्राओं श्रुति सिंह, अंजली,प्रिया,मेघा और जान्हवी तथा पुस्तकालय के संजय पंवार और कविता ने अपने कविता पाठ से उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
अंतत: प्रमाण-पत्र वितरण के साथ इस सुंदर काव्य गोष्ठी का प्रभावपूर्ण समापन हुआ। यह काव्य गोष्ठी हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में न केवल छात्रों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध हुई बल्कि हिंदी साहित्य और भाषा की महत्ता को पुनः रेखांकित करने में निश्चित ही मील का पत्थर तथा मार्गदर्शक मशाल बनेगी।

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