दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) ने दावा किया था कि न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग बुझाते समय अग्निशमन कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की जांच रिपोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए वीडियो ने डीएफएस के इस दावे पर संदेह पैदा कर दिया है।
पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय के साथ साझा किए गए इस वीडियो को शनिवार रात को 25 पन्नों की रिपोर्ट के हिस्से के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के अग्निशमन कर्मी उन वस्तुओं पर लगी आग बुझाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनमें संभवतः आधे जले हुए भारतीय नोट भी शामिल हैं।
डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने 21 मार्च को पीटीआई को बताया था कि 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान अग्निशमन कर्मियों को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कोई नकदी नहीं मिली थी। उन्होंने 21 मार्च को पीटीआई और दो इलेक्ट्रॉनिक समाचार चैनलों को बताया था, “आग बुझाने के तुरंत बाद, हमने पुलिस को आग की घटना के बारे में सूचित किया। इसके बाद अग्निशमन विभाग के कर्मियों की एक टीम मौके से चली गई। हमारे अग्निशमन कर्मियों को आग बुझाने के अभियान के दौरान कोई नकदी नहीं मिली।”
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