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Delhi: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बाहर से लानी पड़ रहीं दवाएं, विधायक का दावा- डॉक्टर सहित दूसरे कर्मी नही

हरिनगर से विधायक श्याम शर्मा ने विधानसभा में कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाएं बाहर से लानी पड़ती हैं। अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों का अभाव है।

पश्चिमी दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल व बाहरी दिल्ली के सत्यवादी राजा हरिशचंद्र अस्पताल में इलाज करवाने आ रहे मरीजों को दवाएं बाहर से खरीदकर लानी पड़ रही हैं। डीडीयू पश्चिमी दिल्ली का सबसे बड़ा अस्पताल हैं। यहां रोजाना हजारों मरीज ओपीडी में इलाज करवाने आते हैं। इसके अलावा दूसरे अस्पतालों से भी मरीज रेफर होते हैं। अस्पताल में दवाओं की कमी की समस्या शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में उठी। हरिनगर से विधायक श्याम शर्मा ने सदन में नियम 280 के तहत मुद्दे को उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष को इस दिशा में आदेश देने की मांग रखी।

सदन में श्याम शर्मा ने कहा कि मरीजों को दवाएं बाहर से लानी पड़ती हैं। अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों का अभाव है। इसके अलावा अस्पताल में अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। मरीजों का कहना है कि द्वारका स्थित इंदिरा गांधी, जाफरपुर स्थिति राव तुला राम, डाबड़ी स्थित दादा देव सहित अन्य अस्पतालों में आने वाले मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर डीडीयू रेफर किया जाता है, लेकिन मौजूदा समय में यहां सुविधाएं नहीं हैं जिससे मरीजों को सफदरजंग या दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है। डॉक्टरों का भी कहना है कि अस्पताल में दवाओं की समस्या को कई बार उठाया गया है, लेकिन पर्याप्त स्टॉक नहीं आता।

खराब है एमआरआई-सीपीआर देने की मशीन
पश्चिमी दिल्ली में दुर्घटना सहित दूसरे कारणों से चोटिल हुए मरीजों को डीडीयू लाया जाता है, लेकिन लंबे समय से एमआरआई मशीन खराब होने के कारण मरीज की जांच नहीं हो पाती। गंभीर मरीजों को लोकनायक रेफर कर दिया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में हार्ट अटैक के मरीजों को सीपीआर देने की भी व्यवस्था नहीं है। यह मशीन भी लंबे समय से खराब है, लेकिन कोई सुध नहीं लेता।

तीन साल से खाली है न्यूरोलॉजी विभाग
डीडीयू अस्पताल में तीन साल से न्यूरोलॉजी विभाग खाली है। यहां से डॉक्टर का तबादला कर दिया गया था। उसके बाद से विभाग में कोई संकाय नहीं आया। विधायक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पश्चिमी दिल्ली में बड़ी संख्या में न्यूरोलॉजी विभाग के मरीज हैं, लेकिन डॉक्टर न होने से उन्हें इलाज नहीं मिल पाता। वहीं, इस संबंध में अस्पताल के प्रमुख डॉ. बीएल चौधरी से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

महिला समृद्धि योजना पर हंगामा, आप विधायकों को बाहर निकाला
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान आप विधायकों ने महिला समृद्धि योजना को लेकर हंगामा किया। विधायकों के शांत न होने पर विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने नेता प्रतिपक्ष आतिशी सहित आप के कई विधायकों को एक-एक कर मार्शल की मदद से बाहर निकाल दिया। कई विधायक स्वयं बाहर चले गए।

आप विधायकों ने 2500 रुपये की सहायता राशि को लेकर सरकार से सवाल किए। वे पोस्टर और पर्चे लेकर पहुंचे थे। विधायक सुरेंद्र कुमार ने सरकार से पूछा कि यह योजना कब लागू होगी। इस बीच मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि योजना को लागू करने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की गई है और अधिसूचना जारी होते ही पात्र महिलाओं को सहायता राशि दी जाएगी। इस जवाब से असंतुष्ट आप विधायक संजीव झा ने पोस्टर लहराया, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शलों को विधायकों को बाहर निकालने का आदेश दिया। इसके बाद आतिशी, मुकेश अहलावत, जरनैल सिंह, विशेष रवि, प्रेम चौहान सहित अन्य विधायकों को बाहर कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि विपक्षी सदस्य सदन की कार्यवाही में व्यवधान डाल रहे थे, क्योंकि वे दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज पर कैग रिपोर्ट को लेकर बहस से बचना चाहते थे। इस घटनाक्रम के बाद आप विधायकों ने विधानसभा परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।

आप नेता मानसिक संतुलन खो बैठे : वीरेंद्र सचदेवा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद से विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी सहित अन्य आप नेता मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। वे एक ही मुद्दे पर रोज बयानबाजी कर जनता को गुमराह करने की कोशिश करते रहते हैं।चुनाव हारने के अगले दिन से ही आप नेता महिला समृद्धि योजना के 2500 रुपये को लेकर बयान दे रहे हैं। अब बजट में दिल्ली सरकार ने महिला समृद्धि योजना के लिए राशि आवंटित कर दी है तो आतिशी ने आर्थिक सर्वेक्षण का मुद्दा उठा लिया है। यदि दिल्ली सरकार बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण नहीं रख पाई तो उसका कारण दिल्ली सरकार की लापरवाही नहीं, बल्कि केजरीवाल सरकार के अपने भ्रष्टाचार को दबाने के विभागीय ऑडिट न करवाना है।

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