ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो रहा था’
कोहली ने कहा कि वह अपने करियर में एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए थे जहां लगातार ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो गया था। उन्होंने ये बातें ‘आरसीबी बोल्ड डायरीज’ पॉडकास्ट में मयंती लैंगर से बातचीत करते हुए कही हैं। कोहली का नाम फिलहाल अवनीत कौर की इंस्टाग्राम पर तस्वीर लाइक करने की वजह से चर्चा में है। हालांकि, वह इस मामले पर सफाई दे चुके हैं। इसी कड़ी में उन्होंने पॉडकास्ट में अपनी कप्तानी को लेकर खुलकर बातचीत की।
कभी कप्तानी तो कभी बल्लेबाजी में संघर्ष कर रहा था’
कोहली ने कहा, ‘एक समय ऐसा आया जब कप्तानी मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया था। तब मेरे करियर में काफी कुछ घटित हो रहा था। मैं सात-आठ साल से भारत की कप्तानी कर रहा था। मैंने नौ साल तक आरसीबी की कप्तानी की। मैं जो भी मैच खेलता उसमें बल्लेबाजी में मुझसे काफी उम्मीद की जाती थी। मुझे तब इस बात का एहसास नहीं था कि मैं किसी भी काम में ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा हूं। अगर कप्तानी में संघर्ष नहीं कर रहा होता था तो बल्लेबाजी में संघर्ष कर रहा होता था। मैं हर समय इसके बारे में सोचता था। यह मेरे लिए काफी मुश्किल हो गया था और आखिर में यह मुझ पर बहुत अधिक हावी हो गया था।’
कभी कप्तानी तो कभी बल्लेबाजी में संघर्ष कर रहा था’
कोहली ने कहा, ‘एक समय ऐसा आया जब कप्तानी मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया था। तब मेरे करियर में काफी कुछ घटित हो रहा था। मैं सात-आठ साल से भारत की कप्तानी कर रहा था। मैंने नौ साल तक आरसीबी की कप्तानी की। मैं जो भी मैच खेलता उसमें बल्लेबाजी में मुझसे काफी उम्मीद की जाती थी। मुझे तब इस बात का एहसास नहीं था कि मैं किसी भी काम में ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा हूं। अगर कप्तानी में संघर्ष नहीं कर रहा होता था तो बल्लेबाजी में संघर्ष कर रहा होता था। मैं हर समय इसके बारे में सोचता था। यह मेरे लिए काफी मुश्किल हो गया था और आखिर में यह मुझ पर बहुत अधिक हावी हो गया था।’
‘अंडर-19 विश्व कप के बाद धोनी-कर्स्टन ने की मदद’
भारत को अंडर-19 विश्व कप में खिताबी जीत दिलाने से किसी को सीनियर टीम में आसानी से एंट्री नहीं मिलती है और न ही इसकी कोई गारंटी है। हालांकि, कोहली को अंडर-19 विश्व कप 2008 जीतने के तुरंत बाद ही भारतीय टीम में ब्रेक मिला था। उन्होंने कहा कि यह उनका दृढ़ संकल्प और तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कोच गैरी कर्स्टन का समर्थन था, जिसने उन्हें टीम में नंबर तीन स्थान सुरक्षित करने में मदद की।
धोनी और कर्स्टन ने तीसरे नंबर पर जगह पक्की की’
कोहली ने कहा, ‘मैं अपनी क्षमता को लेकर बहुत यथार्थवादी था क्योंकि मैंने कई अन्य लोगों को खेलते हुए देखा था। मुझे ऐसा नहीं लगा कि मेरा खेल कहीं भी उनके करीब था। मेरे पास केवल दृढ़ संकल्प था। अगर मैं अपनी टीम को जीत दिलाना चाहता था, तो मैं कुछ भी करने को तैयार था। यही कारण था कि मुझे शुरुआत में भारत के लिए खेलने का मौका मिला। गैरी (कर्स्टन) और एमएस (धोनी) ने मुझे यह स्पष्ट कर दिया कि तीसरे नंबर पर मेरी जगह पक्की है।’
‘मैं कभी हार नहीं मानने वाला खिलाड़ी हूं’
कोहली ने कहा कि इन दोनों ने उन्हें अपना स्वाभाविक खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, ‘इन दोनों ने मुझसे कहा आप मैदान पर जो भी करते हैं, आपकी ऊर्जा, आपकी प्रतिबद्धता, वह हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम चाहते हैं कि आप अपना स्वाभाविक खेल खेलें। मुझे कभी पूर्ण मैच विजेता के रूप में नहीं देखा गया जो कहीं से भी खेल का रुख बदल सकता है, लेकिन मैं कभी हार नहीं मानता था। इसी जज्बे का धोनी और कर्स्टन ने समर्थन किया था।’
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