मातृ दिवस: जब मुश्किलों में फंसी जिंदगी तो ढाल बन गई ‘मां’… फेल हो गई थी किडनी, मां ने आगे आकर किया अंगदान
कुछ ऐसी माताएं हैं जिन्होंने बच्चे की किडनी फेल होने पर उन्हें नई जिंदगी देने के लिए किडनी दान करने का निर्णय लिया। मां से मिली किडनी का प्रत्यारोपण करवाने के बाद परेशानी दूर होने के साथ बच्चे का जीवन भी सुरक्षित हो गया।
तुझ से हर चमन है गुलजार मेरा, ऐ मां बस नाम ही है काफी हर बार तेरा, ये पंक्तियां अपने आप में सटीक हैं। बच्चे पर जब भी कोई संकट आता है तो मां ढाल बनकर अपने बच्चे लिए सुरक्षा कवच का काम करती हैं। ऐसी हीं कुछ ऐसी माताएं हैं जिन्होंने बच्चे की किडनी फेल होने पर उन्हें नई जिंदगी देने के लिए किडनी दान करने का निर्णय लिया। मां से मिली किडनी का प्रत्यारोपण करवाने के बाद परेशानी दूर होने के साथ बच्चे का जीवन भी सुरक्षित हो गया।
बेटा तकलीफ में आया तो आगे आई मां
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की रहने वाली करीब 61 वर्षीय श्रीदेवी भी ऐसी ही एक मां हैं। बेटा जब तकलीफ में आया तो वह आगे आई और अपनी किडनी देने का फैसला लिया। किडनी प्रत्यारोपण करने वाली टीम से जुड़े नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन विभाग के डॉ. रीतेश शर्मा ने बताया कि 29 साल के नीरज कुमार को करीब एक साल पहले सिर में दर्द की समस्या थी। लंबे समय तक दवाएं लेने के कारण उसका रक्तचाप अनियंत्रित हो गया। बाद में जांच की गई तो किडनी पर दवाओं का असर दिखा। जब किडनी की तलाश की गई तो उनकी मां आगे आई और अपनी किडनी देकर उसे नया जीवन दिया। किडनी प्रत्यारोपण के बाद रीतेश ठीक है और उसने गुरुग्राम में अपना काम शुरू कर दिया।
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