प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस अगले तीन वर्षों में देश का पहला भिक्षा मुक्त शहर बनेगा. इसकी पहल वाराणसी स्थित स्टार्ट अप बेगर्स कॉरपोरेशन यानी भिखारी निगम (बीसी) ने की है. कॉरपोरेशन ने भिखारियों को कारोबारी बनाने का जिम्मा उठाया है. भिखारियों को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण के साथ सेंटर खोले हैं. भिखारियों को काम पर लाने वाले नागरिकों को कॉरपोरेशन नकद पुरस्कार देगा. बेगर्स कॉरपोरेशन संस्थापक चंद्र मिश्रा ने बताया कि सर्वेक्षण के अनुसार, बनारस में करीब छह हजार भिखारी हैं. इनमें 1400 बच्चे भी शामिल हैं. परिवार या बच्चों के साथ रहने वाले 18 से 40 वर्ष तक के शारीरिक रूप से सक्षम भिखारियों को तीन महीने का प्रशिक्षण देकर कॉटन के बैग आदि बनाने के साथ अपनी पूजा-सामग्री और फूल की दुकानें शुरू कराने का अभियान नए साल में शुरू होगा. अप्रैल 2024 में 50 भिखारी परिवारों से शुरुआत करके मार्च 2027 तक छह चरणों में एक हजार भिखारी परिवारों को रोजगार से जोड़ने का प्लाान है. कॉरपोरशन ने वर्तमान में 17 परिवारों को भीख के जाल से बाहर निकाला है, जो विभिन्न व्यवसायों में लग सम्मामन के साथ कमाई कर रहे हैं. इनमें कुछ ने उद्यमिता प्रशिक्षण के दौरान प्रति माह 12 हजार रुपए तक कमाए हैं.
बेगर्स कॉरपोरशन पहली ऐसी कंपनी है, जिसमें भिखारियों को हिस्सेदारी मिलेगी. कॉरपोरेशन भिखारियों को प्रतिमाह 10 हजार रुपए और तीन साल के बाद एक लाख रुपए की न्यूनतम आजीविका सहायता देने के लिए उनके साथ तीन साल का अनुबंध कर रहा है. भिखारियों को हिस्सेदारी मिलने से तीन साल में न्यूनतम 4.6 लाख रुपए मिलेगा. बेगर्स कॉरपोरेशन ने लोगों से अपील की है कि भीख देने की बजाए भिखारियों को संस्था तक लाने वाले लोगों के लिए एक हजार पुरस्कार की घोषणा की गई है. इसके साथ ही कॉरपोरेशन ने सरकार और प्रशासन से सर्वेक्षण करा असली भिखारियों की पहचान करने और उन्हें पहचान पत्र जारी करने का अनुरोध किया है. बेगर्स कॉरपोरेशन ने अन्ना और माला दो ऐसे लोगों से भी बात कराई, जो कभी भीख मांगते थे और अब कॉरपोरेशन से जुड़ने के बाद न सिर्फ सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं, बल्कि परिवार का सहारा भी बने हैं.
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