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पाकिस्तान में बारिश-बाढ़ से एक दिन में 63 मौतें: अब तक 250 मरे, क्यों-कैसे हर साल पड़ोसी देश में आती है तबाही?

पाकिस्तान में मौजूदा समय में स्थिति कितनी खराब है? उसके किन क्षेत्रों को मानसून में प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा है? पाकिस्तान में हर साल बारिश-बाढ़ से इस तरह की आपदा क्यों पैदा हो जाती है? जलवायु परिवर्तन की इसमें क्या भूमिका है? पाकिस्तान इसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय को क्यों दोषी बताता है? आइये जानते हैं...

पाकिस्तान में एक बार फिर जबरदस्त बारिश और बाढ़ का प्रकोप देखने को मिल रहा है। खासकर पंजाब प्रांत में मानसून शुरू होने के बाद से ही सड़कें पानी से लबालब हैं। इसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा और कुछ अन्य प्रांतों में भी बाढ़ की वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। बताया गया है कि पूरे देश में जून से ही मानसून-पूर्व जो बारिश शुरू हुई थी, उसके बाद से ही स्थितियां बिगड़ने लगी थीं। तबसे लेकर अब तक पड़ोसी मुल्क में बारिश-बाढ़ से 250 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा सैकड़ों लोग लापता हुए हैं। मृतकों में बड़ी संख्या बच्चों की है।

पाकिस्तान में मौजूदा समय में स्थिति कितनी खराब है? उसके किन क्षेत्रों को मानसून में प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा है? पाकिस्तान में हर साल बारिश-बाढ़ से इस तरह की आपदा क्यों पैदा हो जाती है? जलवायु परिवर्तन की इसमें क्या भूमिका है? पाकिस्तान इसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय को क्यों दोषी बताता है? आइये जानते हैं…
पाकिस्तान में क्या हैं मौजूदा हालात?
पाकिस्तान में इस साल मानसून 25 जून तक पूरे देश पर छा गया था। हालांकि, पाकिस्तान में पश्चिमी विक्षोभ और कुछ और मौसमी कारणों से बारिश का दौर जून की शुरुआत से ही जारी है। जून से अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सिर्फ बीते तीन हफ्तों में पाकिस्तान में बारिश और बाढ़ की जो स्थिति पैदा हुई है, उसमें 178 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 471 घायल हुए हैं। इस दौरान कुल मृतकों में से 85 से ज्यादा बच्चे हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, अकेले गुरुवार को ही बारिश-बाढ़ की वजह से 63 लोगों की मौत हुई है, जबकि 227 घायल हुए हैं।

बारिश-बाढ़ से पाकिस्तान का पंजाब प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। राजधानी लाहौर में पिछले पूरे हफ्ते रुक-रुककर हुई बारिश से निचले इलाकों में पानी भर गया। इन क्षेत्रों में गलिया इतनी संकरी हैं कि यहां बिजली जाने के बाद इसे ठीक करने की भी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इसके अलावा मध्य और दक्षिण पंजाब के अधिकतर इलाके भी बाढ़ की चपेट में हैं। आने वाले दिनों में भीषण बारिश की आशंका जताई गई है। कुछ ऐसा ही हाल खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का भी है, जहां स्वात नदी उफान पर है।

पाकिस्तान में क्या है बारिश-बाढ़ से हर साल हालात बिगड़ने की वजह?

1. भौगोलिक स्थिति
पाकिस्तान को मौसम का सबसे बड़ा खतरा अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से होता है। पूरे पाकिस्तान में 13,000 ग्लेशियर हैं, जो कि गर्मी के मौसम के बाद पाकिस्तान में बाढ़ के हालात के लिए काफी जिम्मेदार माने जाते हैं। 2025 की बात करें तो पाकिस्तान में हालात बिगड़ने की मुख्य वजह भीषण गर्मी रही, जिसके चलते उत्तरी गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में कई ग्लेशियर्स तेजी से पिघलने लगे। समुद्र की सतह से 1200 मीटर ऊपर मौजूद पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इसके अलावा पाकिस्तान में पूरे साल में जितनी बारिश होती है उसकी 70 से 80 फीसदी से ज्यादा बारिश मानसून में ही हो जाती है। यानी कुछ ही महीनों में पूरे साल की बारिश और ग्लेशियर्स के पिघलने की तेज रफ्तार पाकिस्तान को बाढ़ की चपेट में लाने के लिए काफी है।

2. पाकिस्तान सरकार का कुप्रबंधन और खराब नीतिगत फैसले
पाकिस्तान सरकार का कुप्रबंधन और नीतिगत फैसलों में कमजोरी भी मानसून में स्थितियां बदतर करने के लिए जिम्मेदार है। पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में मानसून के दौरान बारिश-बाढ़ आने के बाद मौतों का आंकड़ा इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि यहां इमारतें लगातार ढहती हैं। ऐसे में लोग प्रशासन की तरफ से घरों की मजबूती की जांच न करने और लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के इंतजाम न करने को लेकर सरकार को घेरते रहे हैं। इसके अलावा आपदा प्रबंधन के लिए बनाई गई टीमों की प्रतिक्रिया में देरी भी लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है।

यूएन हैबिटैट की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में बारिश-बाढ़ से हालात बिगड़ने की एक वजह ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में आने वाली आबादी भी है। यह आबादी शहरों में आमतौर पर झोपड़ियों या कच्ची बस्तियों में रहती है, जो कि बाढ़ आने की स्थिति में बह जाते हैं या बारिश में हादसे का शिकार होते हैं।

दुनिया को क्यों जिम्मेदार ठहराता है पाकिस्तान?
पाकिस्तान अपने यहां भारी बारिश और बाढ़ की वजह से स्थिति बिगड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जिम्मेदार बताता है। पाकिस्तान का कहना है कि वह दुनियाभर में वैश्विक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सिर्फ 0.5 फीसदी की भागीदारी रखता है, लेकिन उसके नागरिक इसकी वजह से होने वाले जलवायु परिवर्तन के चलते सबसे ज्यादा खतरे में हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुताबिक, आपदाओं से पाकिस्तान के लोगों पर मौत का खतरा अन्य देशों के मुकाबले 15 गुना ज्यादा है।

पाकिस्तान में 2022 में आई बाढ़ को आधुनिक समय की सबसे बड़ी आपदाओं में गिना जाता है। इसके बाद जब पाकिस्तान ने जनवरी 2023 में संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक दानकर्ताओं की एक बैठक का आयोजन किया था, तब उसे 10 अरब डॉलर देने के वादे किए गए थे। यह राशि कर्ज के तौर पर देने पर सहमति बनी थी, लेकिन पाकिस्तान की हालत को देखते हुए कर्जदाता अब तक 2.8 अरब डॉलर ही दे पाए हैं। इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए 2050 तक हर साल 40 से 50 अरब डॉलर का निवेश चाहिए होगा।
तब पाकिस्तान को बारिश-बाढ़ से 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इसमें 14.8 अरब डॉलर की संपत्तियां और बाकी पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नुकसान के तौर पर दर्ज हुआ था। इस स्थिति को देखते हुए यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि अन्य देशों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे पाकिस्तान की मदद करें। गुटेरेस ने कहा था कि पाकिस्तान पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है और इसके बाद उसे जलवायु परिवर्तन के संकट से भी जूझना पड़ा है।

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