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तकनीक के साइड इफेक्ट: वर्चुअल बधाइयों के बीच घटती नजदीकियां, अपनापन स्क्रीन तक सीमित, ऑनलाइन गिफ्टिंग का चलन

बाजार जगमगा रहे हैं, ऑनलाइन स्टोर पर ऑफर की बाढ़ है, मोबाइल नोटिफिकेशन लगातार हैप्पी दिवाली के संदेशों से भरे हैं। हैप्पी दिवाली के मैसेज इतने हैं कि देखने की फुर्सत नहीं लेकिन दिल सूना है और बचपन की उस दिवाली को याद करता है जब संसाधन कम थे लेकिन रिश्तों में अपनापन था।

दीयों की लौ में चमकने वाले रिश्ते अब मोबाइल स्क्रीन की रोशनी में धुंधले पड़ गए हैं। दिवाली की बधाइयां अब इमोजी और फॉरवर्ड मैसेज तक सिमट गई हैं। डिजिटल युग ने त्योहारों को जितना चकाचौंध बना दिया हैं उतना ही रिश्तों में अपनापन छीन लिया है।

बाजार जगमगा रहे हैं, ऑनलाइन स्टोर पर ऑफर की बाढ़ है, मोबाइल नोटिफिकेशन लगातार हैप्पी दिवाली के संदेशों से भरे हैं। हैप्पी दिवाली के मैसेज इतने हैं कि देखने की फुर्सत नहीं लेकिन दिल सूना है और बचपन की उस दिवाली को याद करता है जब संसाधन कम थे लेकिन रिश्तों में अपनापन था।

दिलों के बीच जमी धूल हटाना है दिवाली का मकसद 
दिवाली का असली अर्थ सिर्फ घरों की सफाई या दीयों की रोशनी नहीं, बल्कि दिलों के बीच जमी धूल हटाना है। डिजिटल युग ने हमें जोड़ा जरूर है पर असली रोशनी अब भी परंपरा और अपनों के बीच है जब आप सामने बैठकर किसी को मिठाई खिलाते हैं और बिना नेटवर्क के भी आपस में मुस्कुराहट बांटते हैं।

बिन मिले जब दिवाली अधूरी मानी जाती थी
कभी दिवाली का मतलब था घर-घर जाकर मिठाई बांटना, बड़ों के पैर छूना, दोस्तों संग रात भर हंसी-मजाक। आज वो मुलाकातें वीडियो कॉल तक सिमट गई हैं। डिजिटल दौर में घर जाकर मिलने की बजाय लोग रेपिडो, ओला, पोर्टर, जिनी और देल्हीबेरी जैसे पार्सल डिलीवरी एप पर निर्भर हैं। इस दिवाली गिफ्ट हैंपर और मिठाइयों को पार्सल एप के जरिये अपने करीबियों को भेजे जा रहे हैं। बदरपुर में रहने वाली कमलेश देवी ने बताया कि वो दिवाली पर अपने हाथों से बनाई मिठाई कुरियर करेंगी।

मेरी बहन मुझसे 30 किलोमीटर दूर रहती है, बावजूद इसके मैं हर दिवाली उसे मिठाई और तोहफे देकर आता था। इसी बहाने हम मिल लिया करते थे लेकिन अब उम्र निकल गई है। बेटे और बहु ने ऑनलाइन गिफ्ट ऑर्डर कर दिया है। दिवाली से पहले डिलीवर हो जाएगा। -रमेश साह, मयूर विहार

संबंधों की बैलेंस शीट
डिजिटल दिवाली ने समय बचाया, दूरी घटाई, और नई पीढ़ी को जोड़े रखा लेकिन यही तकनीक रिश्तों में ठंडापन ला रही है।पहले रिश्ते निभाने में जहां मेहनत लगती थी, अब फॉरवर्ड टू ऑल ने सब आसान कर दिया है। दिल्ली के एक आईटी प्रोफेशनल आदित्य कहते हैं, कि हर साल दिवाली पर घर जाता था, लेकिन इस बार प्रोजेक्ट की डेडलाइन है। परिवार के साथ वीडियो कॉल पर पूजा करूंगा। तकनीक ने सुविधा दी है, लेकिन साथ होने का एहसास नेटवर्क कनेक्शन पर निर्भर है।

ऑनलाइन गिफ्टिंग, भावनाओं की नई डिलीवरी
पहले लोग सोच-समझकर गिफ्ट चुनते थे, अब एड टू कार्ट और सेन्ड गिफ्ट पर सब कुछ हो जाता है। कई ई-कॉमर्स कंपनियां इस बदलाव को इमोशनल टेक्नोलॉजी कह रही हैं, लेकिन सच यह है कि गिफ्ट की जगह अब गिफ्ट लिंक भेजे जा रहे हैं। दिल्ली के लक्ष्मी नगर की रहने वाली संध्या ने बताया, भाभी ने मिठाई के बजाय ऑनलाइन वाउचर भेजा है। अच्छा लगा, पर वो मिठास जो हाथों से दिए गिफ्ट में होती थी, उसकी बात ही अलग थी।

वर्चुअल पूजा और डिजिटल दान
ऑनलाइन आरती, ई-दान और वर्चुअल पूजा की परंपरा भी तेजी से बढ़ी है। देशभर के मंदिर अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आरती दिखा रहे हैं। ज्योतिषाचार्य ऋतु सिंह ने बताया, कि उनके कई ऐसे जजमान हैं, जो विदेश में रहते हैं। वहां बमुश्किल ही पंडित मिलते हैं। ऐसे में वो ऑनलाइन वीडियो कॉलिंग के माध्यम से जुड़कर पूजा संपन्न कराते हैं। यहां से संकल्प के मंत्रोच्चारण होते हैं, वहां संकल्प लिए जाते हैं। वहीं कूरियर के माध्यम से प्रसाद भेज दिया जाता हैं।

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