नीरज शुक्ला
असलम साबरी ने मंच से हजरत निजामुद्दीन औलिया के मुरीद शागिर्द हजरत अमीर खुसरो जिन्हें हिंदुस्तान में’तूतिया-ए-हिंद’से नवाजा गया। अमीर खुसरो की ख्वाहिश रही-तेरा ही मुख देख पिया रात को मैं सो जाऊं-भोर भई जब आंख खुले तब तेरा ही दर्शन पाऊं। छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाइके। अपनी छवि बनायकै जो में पी के पास गई अपनी सब बनाकर पास गई-जब छवि देखी पीह की सो अपनी भूल गई। हरी हरी चूड़ियां गोरी गोरी बहियां-बहिया पकड़ हरि लीनी,मोसे नैना मिला के। इसी कव्वाली को आगे बढ़ते हुए-बलिबलि जाऊं मैं तोरे रंग रिज़वा,अपनी इसी रंग दीनी मोसे नैना मिलाइके।
ताज महोत्सव द्वारा दीवाने आम में सजाई कव्वाली की महफिल के मंच पर असलम साबरी के साथ नवाब साबरी लय में लय मिल रहे थे। असलम साबरी ने कव्वाली से इतर अपनी फेमस ‘जाने गजल’ के शेर सुन कर खूब तालियां बटोरी। जितने भी साहिबे कव्वाल हुए, तेरे ही दम से बेमिसाल हुए ए मेरी जाने गजल। चांद के शौक में तुम छत पै ना जाना, वरना शहर में ईद की तारीख बदल जाएगी-मेरी जाने गजल। तू किसी और की जागीर है जाने गजल, लोग तूफान उठा देंगे तू मेरे साथ न चल-ए मेरी जाने गजल।
कव्वाली की महफिल में तमाम अधिकारी उनके परिजन मौजूद रहे। लेकिन स्थानीय श्रोताओं का अभाव खटकता रहा। आयोजन पूरी तरह से सरकारी एवं आधिकारिक बनकर रह गया। शिल्प,कला एवं संस्कृति के महाकुंभ जो ताज महोत्सव के नाम से जाना जाता है। दिनेश श्रीवास्तव ने कुशल संचालन कर लोगों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में आगरा कमिश्नर शैलेंद्र कुमार सिंह,एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ,डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी,एडीए उपाध्यक्ष एम अरुनमौलि,सचिव श्रद्धा साडियाल,जीएम बीएसएनल श्याम सिंह,नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल,आईजी दीपक कुमार,एसडीम राजेश कुमार, तहसीलदार देवेंद्र प्रताप सिंह, संरक्षण सहायक दिलीप सिंह, पर्यटन अधिकारी,मेजर रोहित मल्होत्रा अन्य अधिकारियों के अलावा हजरत सलीम चिश्ती की दरगाह के सज्जादानशीन अरशद फरीदी, सांसद राजकुमार चाहर के पुत्र,मंडल अध्यक्ष ओम कांत डांगुर, किसान नेता दीना चौधरी, पुरुषोत्तम वशिष्ठ,अफसर पहलवान व अन्य श्रोता मौजूद रहे।
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