राज्यसभा ने गुरुवार को दूरसंचार क्षेत्र में रिफॉर्म से जुड़े विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। लोकसभा में इस विधेयक को 20 दिसंबर को पास किया गया ता। इसके साथ ही अब भारतीय दूरसंचार विधेयक 2023 को संसद की मंजूरी मिल चुकी है। यह विधेयक कानून बनने के बाद यह विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 तथा टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 का स्थान लेगा। बता दें कि छोटी चली बहस के बाद राज्य सभा में टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 को पास कर दिया गया। इस दौरान ज्यादातर विपक्ष के नेता सदन में मौजूद नहीं थे। केंद्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव ने इस बिल को सदन में पेश किया। यह बिल केंद्र सरकार के यह अधिकार देती है कि सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में या जन सुरक्षा के मद्देनजर सरकार टेलीकॉम नेटवर्क को अपने नियंत्रण में ले सकती है।
राज्यसभा में चर्चा के दौरान अश्विन वैष्णव ने जवाब देते हुए कहा कि देश का टेलीकॉम सेक्टर आज कठिनाईयों और घोटालों से आगे निकल चुका है और अपनी चमक बिखेर रहा है। इसी चमक को बढ़ाने और रिफॉर्म को विस्तार देने के लिए यह विधेयक लाया गया है। एक समय में टेलीकॉम जैसे पवित्र संसाधन का काले कारनामों के लिए प्रयोग किया गया था। विधेयक में लाए गए प्रावधानों को कुछ बिंदुओं में शामिल करते हुए मंत्री ने कहा कि इस नियम को उपभोक्ता के आधार पर उपभोक्ता केंद्रित बनाया गया है। इस कानून में टेलीकॉम से जुड़ी अवसंरचना को विस्तार देने, स्पेक्ट्रम के सही उपयोग, लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने, साइबर सुरक्षा, शोध और नवाचार तथा देश में उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव ने इससे पूर्व बुधवार को लोकसभा में दूर संचार विधेयक 2023 की चर्चा पर कहा था कि यह बिल भारत के डिजिटल युग का एक बहुत बड़ा प्रवर्तक है। उन्होंने कहा, ‘पिछले साढ़े 9 वर्षों में टेलीकॉम सेक्टर में हमने व्यापक विस्तार देखा है। साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सत्ता संभाली तब देश में मात्र 6.25 लाख नेटवर्क टावर थे। लेकिन आज देशभर में 25 लाख से अधिक टेलीकॉम टावर है। साथ ही इंटरनेट या ब्रॉडबैंड की सुविधा साल 2014 तक मात्र डेढ़ करोड़ लोगों के पास ही थी, लेकिन अब यह संख्या 85 करोड़ से अधिक है।’
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