भाजपा ने संगठन पर्व के तहत दो दिन पहले नए जिला अध्यक्षों की सूची जारी की थी, लेकिन इस सूची में कई वरिष्ठ और जमीनी नेताओं के नाम शामिल नहीं किए जाने पर असंतोष पनप गया है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन राणा और चुनाव प्रभारी से मिलकर अपनी नाराजगी जताई है। कुछ नेताओं ने तो खुले तौर पर नियुक्तियों में पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
बताया जा रहा है कि पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने तो जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के पास शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि जिन कार्यकर्ताओं ने वर्षों तक पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की, उन्हें दरकिनार कर दिया गया और प्रभावशाली संपर्कों वाले नेताओं को प्रमुखता दी गई।
ऐसी ही नाराजगी कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच भी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि तीन इंजन की सरकार के इस दौर में अगर कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं मिलेगा तो इसका असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है। कई नेता तो यह भी कह रहे हैं कि इस सूची अनुभव के साथ-साथ सामाजिक संतुलन भी दिखाई नहीं दे रहा है।
कई वर्गों के नेताओं की थोक में नियुक्ति की गई है, वहीं कुछ वर्गों की सुध नहीं ली गई है। हालांकि, भाजपा के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी इन आरोपों को नकारते हुए कहते हैं कि नियुक्तियों में सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है और यह सूची संगठन की भावी जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। लेकिन यह स्पष्ट है कि प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर अंदरूनी खींचतान खुलकर सामने आ गई है।
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