header advertisement

Delhi : प्रदेश भाजपा में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से कई नेता नाराज, कुछ ने खुलकर उठाया पारदर्शिता का सवाल

हाल ही में घोषित जिला अध्यक्षों की सूची को लेकर भाजपा के अंदर असंतोष दिखाई दे रहा है। जिला अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल नेता ही नहीं, बल्कि उनके आका भी नाराज है। उन्होंने अपने-अपने स्तर पर नाराजगी जताई है।

दिल्ली में केंद्र, राज्य और एमसीडी में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद पार्टी के भीतर संगठनात्मक पदों को लेकर होड़ तेज हो गई है। पार्टी नेताओं की कोशिश है कि इस तीन इंजन की ताकत के दौर में वे संगठन में किसी न किसी रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएं।इसी कड़ी में हाल ही में घोषित जिला अध्यक्षों की सूची को लेकर भाजपा के अंदर असंतोष दिखाई दे रहा है। जिला अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल नेता ही नहीं, बल्कि उनके आका भी नाराज है। उन्होंने अपने-अपने स्तर पर नाराजगी जताई है।

भाजपा ने संगठन पर्व के तहत दो दिन पहले नए जिला अध्यक्षों की सूची जारी की थी, लेकिन इस सूची में कई वरिष्ठ और जमीनी नेताओं के नाम शामिल नहीं किए जाने पर असंतोष पनप गया है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन राणा और चुनाव प्रभारी से मिलकर अपनी नाराजगी जताई है। कुछ नेताओं ने तो खुले तौर पर नियुक्तियों में पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

बताया जा रहा है कि पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने तो जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के पास शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि जिन कार्यकर्ताओं ने वर्षों तक पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की, उन्हें दरकिनार कर दिया गया और प्रभावशाली संपर्कों वाले नेताओं को प्रमुखता दी गई।

ऐसी ही नाराजगी कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच भी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि तीन इंजन की सरकार के इस दौर में अगर कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं मिलेगा तो इसका असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है। कई नेता तो यह भी कह रहे हैं कि इस सूची अनुभव के साथ-साथ सामाजिक संतुलन भी दिखाई नहीं दे रहा है।

कई वर्गों के नेताओं की थोक में नियुक्ति की गई है, वहीं कुछ वर्गों की सुध नहीं ली गई है। हालांकि, भाजपा के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी इन आरोपों को नकारते हुए कहते हैं कि नियुक्तियों में सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है और यह सूची संगठन की भावी जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। लेकिन यह स्पष्ट है कि प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर अंदरूनी खींचतान खुलकर सामने आ गई है।
 

भाजपा ने प्रवेश वाही को नेता सदन नियुक्त किया

भाजपा ने सत्ता मिलने के बाद अब एमसीडी के पदों पर अपने पार्षदों को जिम्मेदारी देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसी क्रम में भाजपा ने अपने वरिष्ठ पार्षद प्रवेश वाही को पार्टी पार्षद दल का नेता नियुक्त किया है। वह नेता सदन होंगे।

वरिष्ठ पार्षद सत्या शर्मा का सदन से स्थायी समिति के सदस्य के रिक्त पद पर नामांकन पत्र दाखिल कराया है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने उनको स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया है। भाजपा पार्षद दल के नेता राजा इकबाल सिंह के महापौर बनने के बाद यह पद करीब माह से रिक्त था।

भाजपा ने बुधवार को प्रवेश वाही के नाम पर मुहर लगा दी। वह एमसीडी की राजनीति का अनुभवी चेहरा हैं। वह इस बार तीसरी बार पार्षद बने हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने अपनी वरिष्ठ पार्षद सत्या शर्मा का सदन से स्थायी समिति के सदस्य के रिक्त पद पर नामांकन दाखिल कराया। इस पद के लिए तीन जून को सदन की बैठक में चुनाव होगा। सदन में भाजपा के पार्षद बहुमत होने के कारण उनका चुना जाना तय माना जा रहा है।

हालांकि, आम आदमी पार्टी ने उनके खिलाफ अपनी पार्षद हेमा को उम्मीदवार बनाया है। आप की ओर से यह नामांकन राजनीतिक संतुलन बनाने और विपक्ष की भूमिका को दर्शाने की दिशा में देखा जा रहा है। लेकिन भाजपा के संख्यात्मक वर्चस्व को देखते हुए हेमा की जीत की संभावना कम दिख रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने सत्या शर्मा को स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाने का निर्णय ले लिया है।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics