एलोपैथी की दवा की तरह आयुष की दवाओं के लिए भी देश में जल्द जन औषधि केंद्र खोले जा सकते हैं। इन केंद्रों पर केवल आयुर्वेद, युनानी, होम्योपैथी, सिद्धा व आयुष से जुड़े पद्धति की ही दवाइयां मिलेंगी। यह कहना है केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव का।
गुरुवार को महाराष्ट्र के लोनावला स्थित कैवल्यधाम में राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) कॉन्क्लेव का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा कि आयुष पद्धति से शिक्षा हासिल करने के बाद मेडिकल छात्र को प्रेक्टिस करने में काफी दिक्कत आती है। वह जो दवाइयां लिखते हैं वह मिलती नहीं। यह भी देखा गया है कि ज्यादातर आयुष की दुकानों पर वह दवाइयां मिलती हैं जो लोग आसपास से पूछ कर या किसी के कहने पर खरीदते हैं। यदि इन दवाइयों के लिए जन औषधि केंद्र खोलेंगे तो इस पद्धति से डॉक्टरों की प्रैक्टिस भी बढ़ेगी। उन्होंने डॉक्टर से भी इस पद्धति का प्रचार प्रसार करने को कहा।
मंत्री ने कहा कि आयुष की दवाओं को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विशेष जोर दिया है। यही कारण है कि पिछले सालों में आयुष मंत्रालय का बजट 75 करोड़ से बढ़कर 1275 करोड़ रुपये पहुंच गया है। आयुष मिशन की शुरुआत साल 2014-15 में हुई थी उसे समय से लगातार इसमें वृद्धि हो रही है। आज आयुष पद्धति की दवाइयों के निर्माण में 8 गुना वृद्धि दर्ज हुई है। वहीं, 150 देश में इन दवाओं का निर्यात भी किया जा रहा है। आज योग को पूरी दुनिया ने माना है। 170 से ज्यादा देश योग को अपना चुके हैं।
आयुष मंत्रालय चौथे स्तर पर करेगा काम
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि मंत्रालय आयुष्मान मिशन को चौथे स्तर पर ले जाने के लक्ष्य की तरफ काम कर रहा है। इसमें व्यक्ति को खुद उसके स्वास्थ्य के तरफ ध्यान आकर्षित करने की दिशा में काम किया जाएगा। हमारी कोशिश है कि जो रोग बिना दवा के ठीक हो सकता है उसके लिए किसी भी प्रकार की दवा खाने की जरूरत ना पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य के तहत आयुष को हर घर तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है। देश भर में आयुष केंद्र खोलने का लक्ष्य भी लगभग पूरा हो गया है।
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