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‘मेडिकल सब्स्टीट्यूट मिले, नई गेंद कभी भी मिले’, टेस्ट को रोमांचक बनाने के लिए कुक-वॉन के सुझाव

कुक और वॉन दोनों के इन सुझावों ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है कि क्या टेस्ट क्रिकेट को आधुनिक समय के अनुरूप और रोमांचक बनाने के लिए मौजूदा नियमों में बदलाव की जरूरत है।

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक ने टेस्ट क्रिकेट के नियमों में बदलाव की मांग करते हुए सुझाव दिया है कि टीमों को 160 ओवरों के भीतर किसी भी समय नई गेंद लेने का विकल्प मिलना चाहिए। मौजूदा नियम के तहत नई गेंद केवल 80 ओवर पूरे होने के बाद ही ली जा सकती है। वहीं, इंग्लैंड के एक और पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने फिर से टेस्ट क्रिकेट में आपातकाल स्थिति में मेडिकल सब्स्टीट्यूट की बात कही है। कुक और वॉन दोनों के इन सुझावों ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है कि क्या टेस्ट क्रिकेट को आधुनिक समय के अनुरूप और रोमांचक बनाने के लिए मौजूदा नियमों में बदलाव की जरूरत है।

‘नई गेंद के नियम में बदलाव से रोमांच बढ़ेगा’
कुक, जिन्होंने 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था, का मानना है कि यह बदलाव खेल को और अधिक रोमांचक तथा रणनीतिक बना सकता है। उन्होंने ‘स्टिक टू क्रिकेट’ पॉडकास्ट पर कहा, ‘मैं टेस्ट क्रिकेट में एक नया नियम जोड़ना चाहूंगा। आप 160 ओवरों में जब चाहें नई गेंद ले सकते हैं। आपको उन 160 ओवरों के लिए दो नई गेंदें मिली हैं और आप जब चाहें दूसरी गेंद ले सकते हैं। आप चाहें तो 30 ओवर के बाद नई गेंद ले सकते हैं।’

रणनीति और संतुलन पर पड़ेगा असर
कुक का यह सुझाव इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में गेंद की स्थिति का खेल के नतीजे पर गहरा असर पड़ता है। नई गेंद आम तौर पर तेज गेंदबाजों को मदद देती है, जबकि पुरानी गेंद से स्पिनरों को फायदा होता है। ऐसे में टीमों को अपनी रणनीति के अनुसार नई गेंद लेने की छूट मिलने पर मुकाबले और ज्यादा दिलचस्प हो सकते हैं।

‘चोटिल खिलाड़ी के लिए सब्स्टीट्यूट जरूरी’
इसी पॉडकास्ट में इंग्लैंड के एक और पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी क्रिकेट के नियमों में बदलाव की जरूरत जताई। वॉन ने कहा कि अन्य खेलों की तरह क्रिकेट में भी चोटिल खिलाड़ी की जगह सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी को उतारने का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने हाल में समाप्त भारत-इंग्लैंड श्रृंखला का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत पांव में फ्रैक्चर के बावजूद बल्लेबाजी करने उतरे थे, जबकि उनकी जगह ध्रुव जुरेल ने केवल विकेटकीपिंग की। वॉन के मुताबिक, मौजूदा नियमों में केवल ‘कन्कशन सब्स्टीट्यूट’ की अनुमति है, जबकि सामान्य चोट के मामलों में यह सुविधा नहीं दी जाती।

भारत-इंग्लैंड सीरीज का उदाहरण
वॉन ने कहा, ‘मान लीजिए कि मैच की पहली पारी में ऋषभ पंत के हाथ में चोट लग जाती है। वह बल्लेबाजी तो कर सकते हैं, लेकिन विकेटकीपिंग नहीं कर सकते। मौजूदा नियमों के अनुसार भारत ध्रुव जुरेल जैसे किसी अन्य विकेटकीपर को तब तक नहीं उतार सकता, जब तक कि वह कन्कशन का मामला न हो। हमारे पास कन्कशन के लिए सब्स्टीट्यूट का प्रावधान है तो फिर चोट लगने पर सब्स्टीट्यूट उतारने का प्रावधान क्यों नहीं है। अन्य खेलों में ऐसा होता है और इससे खेल की प्रतिस्पर्धा भी बनी रहती है।’

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