पूर्वी दिल्ली के पुराना उस्मानपुर गांव के पास दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट होने के बाद भी लोग वहां पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि गांव में अब तक पानी की पाइपलाइन तक नहीं बिछाई गई। ऐसे में नलों से पानी आना तो दूर, लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है।दरअसल, पूर्वी दिल्ली में यमुना किनारे बसे इस गांव के लोगों का कहना है कि मौजूदा समय में भी वह पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। करीब 200 से 250 घर वाले इस गांव में लोगों के लिए पीने का पानी नहीं है।
हैरानी की बात यह है कि गांव के पास से ही मुख्य सप्लाई पाइपलाइन गुजरती है, मगर गांव के लोग तक पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंचती। लोगों का आरोप है कि बार-बार गुहार लगाने पर डीजेबी की ओर से कभी-कभार पानी का टैंकर भेजा जाता है, लेकिन गांव के बाहर के लोग बाल्टियां और ड्रम लेकर कतार में रहकर टैंकर का इंतजार करते हैं और पानी आते ही टैंकर गांव के अंदर पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाता है। बाहर ही लोग पानी भर लेते हैं और गांव के भीतर रहने वाले परिवार प्यासे ही रह जाते हैं। इस स्थिति में गांव के लोगों को दो से तीन किलोमीटर दूर जाकर खरीदकर पीने का पानी लेकर आना पड़ता है।
यमुनापार के सोनिया विहार का मुख्य ट्रीटमेंट प्लांट है, जो पूरे दिल्ली के बड़े हिस्सों को पीने के पानी की आपूर्ति करता है। इसकी क्षमता करीब 635 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) या 142 एमजीडी (एमजीडी) पानी की ट्रीटमेंट और आपूर्ति करने में सक्षम है।
इस समस्या के बारे में हमारे पास किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत मिलने पर समस्या का समाधान किया जाएगा। – छाया गौरव शर्मा, निगम पार्षद
यमुना के अधिक पास होने की वजह से गांव में पेयजल की पाइपलाइन नहीं बिछाई जा सकती है। इसके अलावा अगर शिकायत मिलती है तो उस समय विभाग की ओर से पानी का टैंकर भिजवा कर पानी की सप्लाई की जा रही है। – अंकुर जैन, कनिष्ठ अभियंता
लोगों से बातचीत
- गांव में कभी पाइपलाइन नहीं डाली गई, ऐसे में पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं। गरीब आदमी इतना खर्च कहां से उठाए। – ब्रह्मपाल खटाना, प्रधान
- शिकायत के बाद जल बोर्ड की ओर से टैंकर भेजा जाता है, लेकिन वह गांव में पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाता है। – चौधरी तिलक राम, निवासी
- दिनभर दिहाड़ी करते हैं, लेकिन हमारी आधी कमाई तो पानी खरीदने में चली जाती है। ऐसे में परेशानी होती है। – विकास ब्रह्मचंद, निवासी
- टैंकर आने पर गांव के बाहर के लोग ड्रम और बाल्टियां लेकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन गांव के अंदर तक पानी नहीं पहुंचता है। – नरेंद्र तिलक राम, निवासी
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