आंत में पाई जाने वाली नियामक टी कोशिकाएं (जीटीआरईजीएस) मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियों को स्वस्थ रखेंगी। इसका खुलासा एम्स के शोध में हुआ है। ये विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को विनियमित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण कमजोर हो जाती हैं। एस्ट्रोजन एक हार्मोन है, जो हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है।
इसके अभाव में हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। आंत प्रतिरक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा घटक है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली हड्डियों के होमियोस्टेसिस को बनाए रखने व ऑस्टियोपोरोसिस को बढ़ने से रोकता है। एम्स की शोध में पता चला कि आंत में रहने वाली नियामक टी कोशिकाएं मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस होने से रोक सकती हैं।
एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग व ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी, ऑस्टियोइम्यूनोलॉजी और इम्यूनोपोरोसिस लैब (टीआईओआईएल) के अतिरिक्त प्रो डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ने बताया कि पहली बार मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस के पैथोफिजियोलॉजी में आंत में रहने वाले नियामक टी कोशिकाओं के बारे में पता चला। इसकी मदद से भविष्य में उपचार की तकनीक विकसित हो सकती है।
फाइबर युक्त भोजन से आंत रहेंगी स्वस्थ
डॉ. श्रीवास्तव के अनुसार, आंत को स्वस्थ रखने में फाइबर युक्त भोजन लाभदायक है। यदि हम मौसमी फल व हरी सब्जियों का सेवन करते हैं तो इससे हमारे आंत में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक्स) में सुधार होता है। यह आंत की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मददगार हो सकता है। जबकि देखा गया है कि लोग जंक फूड व दूसरे भोजन को पसंद करते हैं, जो आंत के स्वास्थ्य को खराब करता है। इसका असर लंबे समय के बाद हड्डियाें पर भी दिखाई देता है।
तैयार कर सकते हैं विकल्प
आंत में पाई जाने वाली नियामक टी कोशिकाओं का विकल्प तैयार किया जा सकता है। इन्हें सप्लीमेंट के तौर पर मरीज को दिया जा सकता है। इनकी मदद से महिलाओं में होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम की जा सकती है। दरअसल, ऑस्टियोपोरोटिक स्थितियों में शॉर्ट-चेन फैटी एसिड की कमी आंत में रहने वाले विनियामक टी कोशिकाओं की संरचना को काफी हद तक बाधित करती है।
लैब में हुआ शोध
टी कोशिकाओं की जांच के लिए लैब में अध्ययन हुआ। इसमें कुछ चूहों को लिया गया, जिन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया। 45वें दिन बाद नियमों के तहत विश्लेषण के लिए उनकी हड्डियों को एकत्र किया गया। अध्ययन के दौरान दूसरे समूह की हड्डियों में काफी सुधार दिखा।
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